नई दिल्लीः भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। अखंड सौभाग्य के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत करती हैं। सुहागिनों के इस तप साध्य व्रत को पुराणों में महाव्रत कहा गया है। महिलाएं भगवान शिव-माता पार्वती की पूजा करती हैं। भारतीय संस्कृति में विवाह सबसे उत्तम एवं पवित्र संस्कार माना गया है। महिलाओं के लिए सौभाग्यवती होना पूर्व जन्म के अर्जित पुण्य का प्रभाव माना जाता है, इसलिए महिलाएं अपने सुहाग की रक्षा के लिए विभिन्न प्रकार का व्रत करती हैं।
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त
मंगलवार को प्रातः वेला में सूर्योदय से दोपहर 2.40 बजे तक शुभ मुहूर्त है। तीज व्रत उदय कालिक तृतीया तिथि में किया जाता है एवं चतुर्थी चंद्र पूजन चंद्रमा के उदयकाल में पारण किया जाता है।
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हरतालिका तीज की कथा
तीज के संबंध में कथा है कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री गिरिजा अर्थात पार्वती ने सबसे पहले तीज व्रत किया था। कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय की पुत्री जब विवाह के योग्य हुईं तो पर्वतराज चिंतित हो गए तथा योग्य वर की तलाश में जुट गए। ऐसे में ही एक समय नारद मुनि भगवान विष्णु के विवाह प्रस्ताव लेकर पर्वतराज हिमालय के पास पहुंचे तो हिमालय तुरंत तैयार हो गए। लेकिन उनकी पुत्री गिरिजा उर्फ पार्वती शिव से विवाह करना चाहते थे। जिसमें पिता के राजी नहीं होने पर गिरिजा वन चली गईं तथा अपने आत्मीय वर शिव की बालू एवं मिट्टी से प्रतिमा बनाकर पूजन करते हुए निर्जला रहकर नदी तट पर पूरी रात जगी रहीं। गिरिजा द्वारा किए जा रहे आराधना से शिव का आसन डोला और उन्होंने आकर पूछा कि देवी तुम क्या चाहती हो। शिव के काफी पूछे जाने पर गिरिजा ने कहा कि अगर आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो अपनी पत्नी होने का वरदान चाहिए। भगवान यह आषीर्वाद देकर अंतर्ध्यान हो गए। इधर, पर्वतराज हिमालय अपनी पुत्री को खोजते हुए नदी किनारे पहुंचे तो पुत्री को शिव की उपासना करते पुत्री को देखकर पूरी जानकारी ली तथा पुत्री की इच्छा को ही सर्वमान्य बताया। कहा जाता है कि जिस दिन पार्वती ने घर छोड़कर नदी किनारे बालू एवं मिट्टी से शिव की प्रतिमा बनाकर निराहार रह पूजन किया, वह भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि में हस्त नक्षत्र था। यह मुहूर्त अखंड सौभाग्य को देने वाला योग है, जो सौभाग्यवती स्त्री यह व्रत करती है वह आजीवन अखंड सौभाग्यवती रहती है। उसी दिन से तीज व्रत और पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस व्रत से धन, धान्य, सुख, समृद्धि और चिरंजीवी पति एवं पुत्र मिलते हैं।
हरतालिका तीज पर करें इन मंत्रों का जाप
पति की लंबी आयु के लिए
नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा।
प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।
मनचाहे वर के लिए
हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा माम कुरु कल्याणी कांतकांता सुदुर्लाभाम।।
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