नई दिल्लीः चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को दशा माता का व्रत व पूजन किया जाता है। अपने जीवन की दशा और दिशा को सुव्यवस्थित करने के लिए धन-धान्य और सुख समृद्धि प्राप्ति के लिए सुहागिनें यह पूजन करती हैं। दशा माता का व्रत एवं पूजन भक्ति भाव के साथ करने से भक्त के सभी बिगड़े कार्य बन जाते हैं। इसके साथ ही उसके घर में सभी सुख-समृद्धि का भी वास हो जाता है। दशा माता का पूजन एवं व्रत उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में किया जाता है।
आखिर कौन हैं दशा माता दशा माता नारी शक्ति का ही एक स्वरूप है। माता दशा के चार हाथ हैं जिनमें वह अलग-अलग अस्त्र धारण करती हैं। उनके ऊपरी दाएं और बाएं हाथ में तलवार और त्रिशूल है तो निचले दाएं और बाएं हाथों में वह कमल और कवच लिये हुए नजर आती हैं। माता दशा की सवारी ऊंट है।
दशा माता की पूजा का शुभ मुहूर्त ज्योतिषाचार्यो के मुताबिक इस बार दशा माता के पूजन में शिव योग बन रहा है। यह शिव योग रात्रि 8.14 तक रहेगा। इसी के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष संयोग भी इस दिन बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 6.28 से रात्रि 1.12 तक रहेगा, जो इस दिन को और भी खास बना रहा है। इस काल में दशा माता का पूजन करने से समस्त कार्य सिद्ध होते हैं। दशा माता का पूजन मुहूर्त प्रातः 7.40 से 12.15 तथा दोपहर 13.39 से 15.०9 तक श्रेष्ठ है।
ये भी पढ़ें..पूर्व सांसद आरके सिन्हा ने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ देखी ‘द…
रविवार को नहीं होती पीपल की पूजा कई महिलाओं के मन में संशय है कि रविवार के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन नहीं होता परंतु हमारे शास्त्र में तिथि को महत्व दिया है इसमें वार का दोष नहीं लगता। तिथि पूर्ण होने से यह दोष समाप्त हो जाता है। दशमी तिथि रविवार को शाम 6.04 तक रहेगी, इसीलिए रविवार के दिन दशा माता का पूजन करना शास्त्र सम्मत एवं शुभ है। इसके अतिरिक्त कुल परंपरा एवं मान्यताओं के अनुसार दशा माता का पूजन करना चाहिए।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)