Kainchi Dham Sthapana Diwas: उत्तराखंड में हिमालय की तलहटी के बीच बसा एक आश्रम कैंची धाम जो बाबा नीम करौली के नाम से जाना जाता है। लोगों का मानना है कि, बाबा नीम करौली कोई साधारण बाबा नहीं बल्कि खुद बजरंग बली जी का अवतार हैं। बाबा किसी न किसी रुप में खुद भक्तों के बीच आकर उनकी समस्या का समाधान करते है। भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करने वाले बाबा के भक्त देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। कहा जाता है कि बाबा ने अपने जीवन में कई ऐसे चमत्कार किए जिन्हें देख इनके भक्त दंग रह गये। इस पोस्ट में हम आपके बताते है बाबा नीम करौली आश्रम से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
कौन थे बाबा नीम करौली
नीम करौली बाबा की गणना 20वीं शताब्दी के सबसे महान संतों में की जाती है। बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर जिला फ़िरोज़ाबाद में हुआ था। बाबा नीब करौरी 1961 में पहली बार आएं और पने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिल कर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। जिसके बाद से ये कैंची धाम पूरी दुनिया में मशहूर हो गया। कहा जाता है कि, बाबा कोई साधारण नहीं बल्कि साक्षात श्री बजरंग बली जी का रुप है।
कैंची धाम की मान्यता
मान्यता है कि, बाबा नीब करौरी को हनुमान जी की उपासना से अनेक चामत्कारिक सिद्धियां प्राप्त थीं। लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी मानते हैं। हालांकि, वह आडंबरों से दूर रहते थे न तो उनके माथे पर तिलक होता था और न ही गले में कंठी माला बाबा एक आम आदमी की तरह जीवन व्यतीत करते थे, वो अपनी शक्तियों से हर असंभव काम को पूरा कर देते थे। अगर कोई भक्त बाबा के पैर छूना चाहता था तो वो उसे श्री हनुमान जी के पैर छूने को कहते थे। बताया जाता है कि, बाबा को कैंची धाम बहुत प्रिय था, वो गर्मियों में अक्सर वहां रहा करते थे। एक के बाद एक अलौकिक चमत्कारों के बाद सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बाबा के अनंत भक्त बनते गये।
चमत्कारों से भरा है बाबा का धाम
बाबा के इस पावन धाम को लेकर कई तरह के चमत्कार जुड़े हुए है, ऐसी कई कहानियां है जिनको सुनते ही भक्त बाबा के तरफ खींचे चले आते है। बताया जाता है कि, बाबा के साथ साक्षात मां अन्नपूर्णा चलती थी। एक बार कैंची धाम में भंड़ारा चल रहा था इस दौरान घी कम पड़ गया जिसके बाद बाबा ने नीचें बह रही नदी से एक बर्तन में पानी भरकर लाने को कहा, वो पानी कब घी में बदल गया भक्तों को इस बात का पता ही नही चला। वहीं एक दूसरी कहानी के अनुसार एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे उनके पास टिकट नही थी तो TT ने उनको ट्रेन से उतर जानें को कहा, बाबा के ट्रेन से उतरते ही ट्रेन रुक गई और आगे नही बढ़ी। जिसके बाद जब बाबा को ट्रेन में वापस बैठने को बोला गया तब ट्रेन आगे बढ़ी।