Saturday, January 11, 2025
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भोपालः आज भी चलेगा भदभदा बस्ती में बुलडोजर, जमींदोज किए जाएंगे सौ घर

भोपालः राजधानी भोपाल के ताज होटल के सामने स्थित भदभदा कॉलोनी में रहने वाले 386 परिवारों को नगर निगम ने जिला प्रशासन और पुलिस की मदद से बुधवार को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी। पहले उन्हें दो दिन का समय दिया गया था। रोक खत्म होने के बाद बुधवार को बस्ती पर नगर निगम का बुलडोजर चलना शुरू हो गया। पहले दिन झील के किनारे बने करीब 20 मकान जमींदोज हो गये। सुबह 9 बजे शुरू हुई कार्रवाई शाम करीब 6 बजे तक जारी रही। गुरुवार को 100 मकान तोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। यहां 150 परिवारों ने मुआवजा राशि लेकर खुद ही अपना मकान खाली कर दिया। वे अपने रिश्तेदारों और किराए के मकानों में चले गए, जबकि आठ परिवारों के पास कोई आश्रय नहीं था, उन्हें जवाहर चौक स्थित ट्रांजिट हाउस में स्थानांतरित कर दिया गया है।

मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध

इससे पहले सुबह 6 बजे नगर निगम के अधिकारियों ने अतिक्रमण विरोधी अमले के साथ भदभदा बस्ती में डेरा डाल दिया था। अतिक्रमण हटाने के लिए निगम का अमला दो दर्जन से ज्यादा जेसीबी और पोकलेन मशीनें और 50 से ज्यादा डंपर के साथ पहुंचा था। ऑपरेशन के दौरान स्थानीय लोगों के विरोध या हंगामे के कारण उत्पन्न आपात स्थिति से निपटने के लिए आठ थाने की पुलिस के साथ दो हजार से अधिक पुलिस बल मौके पर तैनात किये गये थे। हालात ऐसे थे कि जर्जर बस्ती को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था। बस्ती की ओर जाने वाले रास्तों को 500 से 800 मीटर पहले ही बैरिकेड्स लगाकर बंद कर दिया गया। जिला प्रशासन, पुलिस और नगर निगम के अलावा किसी को भी बस्ती में प्रवेश की इजाजत नहीं थी। कार्यवाही के दौरान मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, दोपहर में मीडिया को कॉलोनी में प्रवेश की इजाजत दे दी गई।

चार सालों से चल रहा है मामला

गौरतलब है कि एनजीटी ने बड़ी झील के कैचमेंट में बसी गंदगी भरी बस्ती को हटाने के लिए जिला प्रशासन समेत नगर निगम को निर्देश दिया है। यह मामला पिछले चार साल से एनजीटी में चल रहा है। एनजीटी ने कॉलोनी में चिह्नित 386 कच्चे-पक्के अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 मार्च को होनी है, उससे पहले निगम अतिक्रमण हटा रहा है। 19 फरवरी को अतिक्रमण हटाना था, इसलिए निगम ने तीन दिन पहले कॉलोनी में अनाउंसमेंट कराकर लोगों से खुद ही शिफ्ट होने को कहा था। इसके बाद कलेक्टर ने खुद शिफ्ट होने के लिए 20 फरवरी तक का समय दिया था। निगम को वाहन और कर्मचारी उपलब्ध कराकर लोगों को शिफ्टिंग में मदद करने के लिए भी कहा गया। शहरवासियों को यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि कोर्ट का आदेश है, जिसे हर हाल में लागू किया जायेगा। लेकिन, रहवासियों ने कलेक्टर के आदेश को सिरे से खारिज कर दिया। निगम का अमला गाड़ियां लेकर बस्ती में पहुंचा, लेकिन दिनभर खड़े रहने के बाद भी बस्ती से एक भी परिवार नहीं हटा। इसलिए नगर निगम ने बुधवार को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है।

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प्रशासन ने यहां के निवासियों को विस्थापन के लिए तीन विकल्प दिए थे। पहले एक-एक लाख रुपये का मुआवजा। दूसरा, 20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता के साथ हाउसिंग फॉर ऑल के तहत मकानों का आवंटन। जबकि तीसरा विकल्प अचारपुरा के पास चांदपुर में जमीन और आर्थिक मदद का है। हालाँकि अधिकांश निवासी चांदपुर जाने के लिए तैयार नहीं हैं, फिर भी कुछ लोगों ने चांदपुर जाने में रुचि दिखाई है।

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