MP Election 2023: मध्य प्रदेश में शुक्रवार को राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है। शुक्रवार को राज्य के मतदाता तय करेंगे कि इस बार उन्हें किसकी सरकार चाहिए।
शिवराज नहीं कर पाए जन आशीर्वाद यात्रा का नेतृत्व
हालांकि, मध्य प्रदेश का चुनावी माहौल इस बार कई रंग बदला हुआ है। जिस मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले ही माना जा रहा था कि बीजेपी चुनाव जीतने के बाद भी शिवराज सिंह चौहान को राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी, उसी मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार खत्म होने तक चौहान ने अपना पक्ष रखा है।दरअसल, इच्छा जताने के बावजूद जब बीजेपी ने पिछले चुनाव की तरह इस बार भी शिवराज सिंह चौहान को ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का नेतृत्व नहीं करने दिया तो बदलाव की अटकलें और मजबूत होती नजर आईं।
मुख्यमंत्री होने के बावजूद पार्टी आलाकमान ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करके इन अटकलों को और बल दे दिया। बीजेपी ने सात सांसदों के साथ-साथ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव को भी विधानसभा चुनाव में उतारकर उन अटकलों को और बल दे दिया है।
यह भी पढ़ें-Jharkhand: प्रधानमंत्री मोदी के काफिले में घुसने वाली महिला को भेजा गया जेल
और मजबूत हुए शिवराज सिंह चौहान
लेकिन, जैसे-जैसे चुनाव प्रचार ने गति पकड़ी, शिवराज सिंह चौहान मजबूत होते नजर आये। पार्टी के एक नेता ने कहा कि जिस तरह से राहुल गांधी बार-बार ओबीसी और जातीय जनगणना का राग अलाप रहे थे, उससे शिवराज सिंह चौहान, जो खुद ओबीसी जाति से आते हैं, न सिर्फ पार्टी के भीतर मजबूत हो गए हैं, बल्कि वे अपनी पकड़ मजबूत करते नजर आ रहे हैं। पार्टी आलाकमान का मूड भांपने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान विधानसभा चुनाव प्रचार में पूरी तरह सक्रिय दिखे। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान चौहान न सिर्फ लगातार मध्य प्रदेश का दौरा करते दिखे, बल्कि अपनी सार्वजनिक सभाओं में अपनी सरकार और खुद की वापसी के दावे भी करते दिखे।
शिवराज सिंह की ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि पार्टी उन्हें पूरी तरह से किनारे कर सकती है। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत पार्टी के सभी शीर्ष नेता शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते दिखे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, ओबीसी राजनीति के इस दौर में बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री न बनाना बहुत आसान फैसला नहीं हो सकता, क्योंकि शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर अपना प्रभाव साबित किया है और ऐसे में अगर पार्टी इस बार उनकी जगह किसी बड़े ओबीसी चेहरे को आगे करना चाहती है। हालांकि, आरएसएस को भी शिवराज सिंह चौहान पसंद हैं।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)