Inflation Rate: उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर गिरकर 5 महीने के निचले स्तर 4.87 प्रतिशत पर आ गई।
महीने के हिसाब से देखें तो सितंबर में महंगाई दर 5.02 फीसदी रही। पिछले साल की तुलना में ईंधन की कीमतों में गिरावट आई है। सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले एलपीजी की कीमतें भी कम कर दी हैं। खाद्य मुद्रास्फीति, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) का लगभग आधा हिस्सा है, अक्टूबर में 6.71 प्रतिशत थी, जबकि सितंबर में यह 6.56 प्रतिशत थी। खाद्य तेलों की कीमतों में 13.69 प्रतिशत की गिरावट आई और सब्जियों की कीमतें नियंत्रण में रहीं, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिली।
हालांकि, दालों की कीमत चिंता का विषय बनी हुई है। महीने के दौरान कीमतों में 18.79 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और मसालों की कीमत में 22.76 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई। माह के दौरान गेहूं और चावल सहित अनाजों में भी दोहरे अंक में 10.69 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
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उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति अब आरबीआई के लक्ष्य सीमा के भीतर है और यह आरबीआई को ब्याज दरें बढ़ाने से रोकेगी। लेकिन कच्चे तेल की कीमत से महंगाई बढ़ सकती है। मुद्रास्फीति दर में गिरावट आरबीआई की उम्मीद के अनुरूप है, जिसने देश की आर्थिक विकास दर को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रमुख ब्याज दर को अपरिवर्तित रखा है। हालांकि अर्थशास्त्रियों के मुताबिक अभी भी सतर्क रहने की जरूरत है। इस साल मानसून का असर अभी तक नहीं देखा गया है, जिसका असर खाद्य पदार्थों की कीमतों पर पड़ सकता है और इजरायल-हमास संघर्ष जैसे भू-राजनीतिक तनाव से तेल बाजार में उथल-पुथल मच सकती है।
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