Monday, November 18, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeदेशसंघ के वरिष्ठ प्रचारक रंगाहरि का निधन, मोहन भागवत ने व्यक्त किया...

संघ के वरिष्ठ प्रचारक रंगाहरि का निधन, मोहन भागवत ने व्यक्त किया शोक

 

senior-sangh-campaigner-rangahari-passes-away

नई दिल्लीः आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक रंगाहरि (Rangahari) का रविवार सुबह कोच्चि के एक अस्पताल में निधन हो गया। वे 93 वर्ष के थे और कुछ समय से बीमार चल रहे थे। रंगाहरि 1991 से 2005 तक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख रहे। रंगाहरि के निधन पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने गहरा शोक व्यक्त किया है। संघ के दोनों शीर्ष पदाधिकारियों ने अपने शोक संदेश में कहा है कि रंगाहरि जी के निधन से संघ ने एक गहन विचारक, उत्कृष्ट कार्यकर्ता और व्यावहारिक आदर्शों वाला स्नेही एवं उत्साहवर्धक वरिष्ठ व्यक्ति खो दिया है।

चेहरे के भावों से देते थे जवाब

रंगाहरि जी ने अपना जीवन सार्थक तरीके से जीया। जब वे अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख थे तब उन्हें जानने वाले कई कार्यकर्ता आज पूरे भारत में उनके निधन पर शोक मना रहे होंगे। अपने अंतिम दिनों में भी उन्होंने पढ़ना, लिखना और अपने पास आने वाले स्वयंसेवकों को सुखद सलाह देना नहीं छोड़ा। 11 अक्टूबर को पृथ्वी सूक्त पर उनकी एकमात्र टीका दिल्ली में प्रकाशित हुई। भले ही वह बोल नहीं सकते थे, फिर भी वह आगंतुकों की बात सुनते थे और अपने चेहरे के भावों से जवाब देते थे।

हाल ही में सरसंघचालक डॉ. भागवत और केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, दिल्ली में रंगाहरि जी की पुस्तक ‘पृथ्वी सूक्त: ए ट्रिब्यूट टू मदर अर्थ’ का विमोचन किया था।

यह भी पढ़ेंः-बांग्लादेश में BNP की हड़ताल जारी, उपद्रवियों ने दो बसों में लगाई आग, एक की मौत

11 भाषाओं की थी जानकारी

रंगाहरि अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी, हिंदी, कोंकणी और मलयालम सहित 11 भाषाओं में पारंगत थे। उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग भाषाओं में 60 से अधिक किताबें लिखी हैं। रंगाहरि 1944 में नागपुर के प्रचारक पुरूषोत्तम चिंचोलकर से प्रेरित होकर संघ में शामिल हुए और जीवन के अंत तक संघ के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे। वह केरल में सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलनों में सक्रिय रूप से शामिल थे। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में से एक गुरुजी समग्र थी, जो 12 खंडों में हिंदी में प्रकाशित हुई, जिसके वे प्रधान संपादक थे।

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें