Saturday, January 18, 2025
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Homeउत्तर प्रदेशराजधानी के गौपालकों को मिलेगी राहत

राजधानी के गौपालकों को मिलेगी राहत

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लखनऊः शहर में आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो नगर निगम से गाय पालने की अनुमति चाहते हैं लेकिन उनको सरकारी दांव-पेंच की उलझन के कारण कदम पीछे हटाना पड़ता है। नई बस्तियों से भी लोगों ने गाय पालने की अनुमति मांगी है। यहां अभी गाय पालने के लिए जगह भी है और खेती भी की जा रही है।

शहर की गौशालाओं से गाय मांगने वालों की संख्या बढ़ रही है। महापौर की गाय गोद लेने की जनता से अपील तथा सरकार के निराश्रित गौवंश पालने वालों को मदद ने इन गौपालकों में कुछ खुशी जरूर है, लेकिन सरकारी अनुबंध सरल नहीं हैं। नगर निगम की तमाम शर्तां के कारण यह आसान भी नहीं है। प्रदेश में निराश्रित गौवंश को लेकर सरकार की किरकिरी होती आई है।

यद्यपि सरकार का रवैया स्पष्ट रहा है, लेकिन मातहतों ने गौवंश की उपेक्षा और उनको भुखमरी तक पहुंचाने में कोई कसर नही छोड़ी है। अब एक बार फिर अभियान चलाकर गौवंश के संरक्षण के प्रयास किए जाएंगे। इस अभियान को लंबा खींचा जाएगा। सर्दियों में गौवंशों की मौत भी ज्यादा होती है क्योंकि गौशालाओं में भी इनकी उपेक्षा की जाती है, इसलिए यही समय अभियान के लिए अनुकूल माना गया है। करीब 60 दिन का विशेष अभियान चलाकर निराश्रित गौवंशों की निगरानी की जाएगी। अंदरखाने में यह अभियान फिलहाल एक नवंबर से चलाए जाने की तैयारी है। 31 दिसंबर तक चलाए जाने वाले वाले अभियान में मुख्य भूमिका पशु चिकित्सकों की होगी।

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सरकार की ओर से वृहद कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसे मिशन मोड में लाने में जिला प्रशासन को भी आगे आना है। मिशन के लिए एक टीम में कई अधिकारियों को लगाया गया है। यह मंडलवार काम करेंगे। बीती बारिश में जिलाधिकारी लखनऊ के निर्देश पर लखनऊ के ग्रामीण गौशालाओं की निगरानी की गई थी। इसी बीच अब गौपालकों के लिए भी अच्छी खबर है कि वह प्रशासन से एक गाय के लिए आवेदन कर सकते हैं।

निगम की सीमा में रहने वालों को नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की शर्तां का पालन करना होगा। गाय पालने के लिए थोड़ी जगह होना अनिवार्य है। इसके अलावा गोबर फेंकने या इस्तेमाल के लिए संसाधन बताने होंगे। कुछ गौपालकों ने कान्हा उपवन से भी एक गाय मांगी थी, लेकिन यहां के प्रबंधक यतीन्द्र सिंह ने मना कर दिया। उनका कहना है कि निगम के अधिकारी ही गाय देने की अनुमति दे सकते हैं।

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