Saturday, January 11, 2025
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कैंसर मरीज की दिक्कतों को कम करने में पैलेटिव केयर की भूमिका अहम

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लखनऊ: कैंसर तेजी से फैल रहा है। राहत की बात यह है कि समय पर इलाज से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। इलाज में देरी से मर्ज गंभीर हो जाता है। ऐसे में इलाज भी कठिन हो जाता है। जब इलाज के लिए कुछ नहीं बचता है तो मरीज की दिक्कतों को कम करने में पैलेटिव केयर की भूमिका बढ़ जाती है। इससे मरीज के जीवन को आसान बनाने में मदद मिलती है। यह जानकारी केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. राजेंद्र कुमार ने दी।

वह शनिवार को पैलेटिव केयर डे पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. राजेंद्र कुमार ने कहा कि कैंसर मरीजों की भूख में कमी आ जाती है। दर्द की वजह से मरीज चलने-फिरने में लाचार हो जाते हैं। मानसिक रूप से भी मरीज टूटने लगता है। ऐसे में पैलेटिव केयर से मरीजों को राहत दी जा सकती है। मरीज की काउंसलिंग की जाती है। केजीएमयू व एनजीओ की टीम आदि मरीजों की मदद में लगाई जाती है। यह टीमें मरीजों के खान-पान से लेकर साफ-सफाई में मदद करती है। मरीज की काउंसलिंग कर ऊर्जा का संचार किया जाता है। डॉ. राजेंद्र कुमार ने कहा कि मरीज के परिवारीजनों की भी काउंसलिंग कराई जाती है। इसमें तीमारदारों को मरीज की देखभाल करने के तौर-तरीके सिखाए जाते हैं।

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एम्स भोपाल के पूर्व निदेशक डॉ. संदीप कुमार ने कहा कि कैंसर के शुरूआती अवस्था में इलाज आसान होता है। जब बीमारी लाइलाज हो जाती है तो ऐसे मरीजों को पैलेटिव केयर की जरूरत पड़ती है। पैलेटिव केयर अस्पताल व घर में दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि पैलेटिव केयर में मरीज के खाने की नली, यूरीन, स्टूल बैग के साथ मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखा जाता है। इससे मरीज की दिक्कते काफी हद तक कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि मुंह के कैंसर से पीड़ित मरीजों के ऑपरेशन के बाद चेहरा कुछ विकृत दिखने लगता है। इससे भी मरीज मानसिक रूप से परेशान हो जाते हैं। इससे उबारने के लिए काउंसलिंग की जरूरत होती है।

अधूरा इलाज घातक

केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभाग के डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि कैंसर का इलाज अधूरा छोड़ना घातक होता है। बीमारी का रूवरूप तेजी से बिगड़ने लगता है। लिहाजा कैंसर मरीज डॉक्टर की सलाह पर पूरा इलाज कराएं। जब बीमारी बेकाबू हो जाती तो पैलेटिव केयर से मरीज को राहत पहुंचाने में काफी कारगर साबित हो रही है। मरीजों को मनपसंद काम करने की सलाह दी जाती है। जैसे उन्हें गीत संगीत, ईश्वर की पूजा आदि के लिए भी प्रेरित किया जाता है। इससे भी मरीज को काफी आंतरिक ताकत मिलती है। कार्यक्रम में डॉ. निशांत वर्मा, डॉ. सरिता सिंह, डॉ. आनंद मिश्र, डॉ. विजय कुमार, डॉ. समीर गुप्ता, डॉ. भूपेंद्र सिंह, डॉ. देवेंद्र सिंह, डॉ. अनुराग अग्रवाल, एनस्थीसिया विभाग के अध्यक्ष डॉ. जीपी सिंह, जनरल सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एए सोनकर, डॉ. अंजू अग्रवाल मौजूद रहे।

रिपोर्ट-पवन सिंह चौहान

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