Monday, November 18, 2024
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जबलपुर से भोपाल तक बना ग्रीन काॅरिडोर,लिवर लेकर आ रही डाॅक्टरों की टीम

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भोपाल: मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार करीब 350 किलोमीटर का सबसे लंबा ग्रीन कॉरिडोर (Jabalpur to Bhopal green corridor) बनाया गया है। ब्रेन डेड मरीज का लिवर जबलपुर से सड़क मार्ग से भोपाल लाया जा रहा है। गुरुवार रात करीब 10 बजे डॉक्टरों की टीम लिवर लेकर भोपाल के लिए रवाना हो गई, जिसके देर रात तक यहां पहुंचने की उम्मीद है।

बंसल अस्पताल के प्रबंधक लोकेश झा ने बताया कि 20 सितंबर को जबलपुर के मेट्रो अस्पताल में 64 वर्षीय मरीज को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उनके परिवार के सदस्यों ने उनके अंग दान करने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसके बाद एक से डेढ़ घंटे में सर्जरी के जरिए लीवर निकाला गया। जिसे भोपाल के बंसल अस्पताल में भर्ती मरीज को प्रत्यारोपित किया जाएगा। यह सर्जरी 5 से 10 घंटे तक चल सकती है। बंसल अस्पताल के डॉ. गुरुसागर सिंह सहोता (लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन) पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं।

प्रदेश में पहली बार बना 350 किमी लंबा ग्रीन काॅरिडोर

अंगदान के लिए काम करने वाली संस्था किरण फाउंडेशन के सचिव डॉ.राकेश भार्गव ने बताया कि प्रदेश में पहली बार गुरुवार-शुक्रवार की दरमियानी रात जबलपुर से भोपाल के बीच 350 किमी लंबा सबसे लंबा ग्रीन कॉरिडोर (Jabalpur to Bhopal green corridor) बनाया गया। जो जबलपुर, नरसिंहपुर, रायसेन और भोपाल के बीच बनाया गया था। डॉ. राकेश भार्गव ने बताया कि 24 जुलाई 2017 को भी जबलपुर के एक ब्रेन डेड मरीज का अंग भोपाल में ट्रांसप्लांट किया गया था। फिर इसे फ्लाइट से लाया गया। लेकिन, पहली बार सड़क मार्ग से आर्गन जबलपुर से भोपाल लाया जा रहा है।

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इलाज के बाद भी सेहत में नहीं हुआ सुधार

मेट्रो हॉस्पिटल जबलपुर के डॉ. सौरभ बदरिया ने बताया कि 64 साल के मरीज को 19 सितंबर को भर्ती किया गया था। उन्हें ब्रेन ट्यूमर था। अस्पताल में इलाज के बाद भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ। 20 सितंबर की सुबह मरीज ब्रेन डेड हो गया। उनके परिवार के सदस्यों ने अंग दान करने की इच्छा व्यक्त की थी। इस पर डॉक्टरों की टीम ने नेशनल ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (एनओटीटीओ) को निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत अंगदान की जानकारी दी थी। मंजूरी मिलने के बाद लिवर भोपाल (Jabalpur to Bhopal green corridor) भेजा गया।

इसी साल पता चला था ब्रेन ट्यूमर, हुई थी सर्जरी

पीयूष सराफ ने बताया कि उनके मामा राजीव सराफ को इसी साल 27 मार्च को ब्रेन ट्यूमर का पता चला था। 29 मार्च को नागपुर के अस्पताल में सर्जरी की गई। इसके बाद वह ठीक हो गये। 19 सितंबर को उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए मेट्रो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, लेकिन वह ठीक नहीं हुए। ब्रेन डेड होने के चलते परिवार ने अंग दान करने का फैसला किया, ताकि उनके अंग से दूसरे व्यक्ति को जीवन मिल सके। राजीव सराफ मूलतः बैतूल के रहने वाले थे।

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