सलाह देने की जगह प्रशासनिक ओहदा संभाल रहे सलाहकार

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Transport Corporation Recruitment

लखनऊः उप्र राज्य सड़क परिवहन निगम की आय विभिन्न संसाधनों के जरिए कैसे बढ़े, इसके लिए सलाहकारों की नियुक्ति की गई थी। बसों के साथ ही अन्य संसाधनों के जरिए निगम की आय बढ़ाने का काम सलाहकारों को करना था। हालांकि, जिस मकसद के लिए सलाहकारों को नियुक्त किया गया था, उस मकसद की बजाय वह अन्य काम संभाल रहे हैं।

आलम यह है कि सलाहकारों के रहते भी निगम की आय दिन-प्रतिदिन कम हो रही है, बावजूद इसके सलाहकारों को प्रशासनिक अधिकार देने के साथ ही क्षेत्रों का नोडल अफसर भी बनाया गया है। यही नहीं बीते दिनों ही परिवहन निगम मुख्यालय में किए गए नए सिरे से कार्य आवंटन में सलाहकारों को महत्वपूर्ण काम भी सौंपे गए हैं। परिवहन निगम मुख्यालय में उच्च पदों पर अफसरों की कमी का बखूबी फायदा सलाहकार उठा रहे हैं। सलाहकार के तौर पर तैनाती पाए सेवानिवृत्त अफसरों ने सांठ-गांठ कर प्रधान प्रबंधक के लेबल का पद हथिया लिया। इसके साथ ही प्रशासनिक अधिकार हासिल कर अब येन-केन-प्रकारेण क्षेत्रों से बेजा लाभ भी उठा रहे हैं।

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गौरतलब है कि नई बसों के बेड़े में शामिल न होने और पुरानी बसों की नीलामी के चलते निगम की आय भी प्रभावित हो रही है। खासकर लीन सीजन यानी मई से अगस्त में निगम की आय पर खासा असर पड़ रहा है। इसको देखते हुए निगम प्रबंधन ने सेवानिवृत्त अफसरों को सलाहकार के रूप में नियुक्त करने का फैसला लिया था। इस क्रम में निगम ने चार सेवानिवृत्त अफसरों को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया। सलाहकार के रूप में नियुक्त अफसर ऐसा काम देख रहे हैं, जो पूर्व में प्रधान प्रबंधक कर रहे थे। निगम प्रबंधन के इस निर्णय से क्षेत्रीय अफसरों में खासा रोष है।

सलाहकार जहां प्रशासनिक व नोडल अफसर बने हुए हैं तो वहीं परिवहन निगम को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। आय में हो रही कमी के चलते परिवहन निगम को दोहरा नुकसान उठना पड़ रहा है। सलाहकारों पर निगम लाखों रुपए मानदेय के रूप में खर्च कर रहा है और इसके बदले यूपीएसआरटीसी को घाटा उठाना पड़ रहा है। बीते अगस्त माह में ही निगम को 40 करोड़ का नुकसान हुआ है, वहीं सितंबर माह में भी नुकसान होने का पूरा अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में सलाहकारों की नियुक्ति का कोई फायदा निगम को मिलता नहीं दिखाई पड़ रहा है। इसके साथ ही निगम को सलाहकारों की नियुक्ति से राजस्व की दोहरी हानि भी हो रही है।

जीएम लेबल का काम देख रहे सलाहकार

सलाह देने के लिए करीब 70-80 हजार रुपए के मानदेय पर रखे गए सलाहकारों से प्रधान प्रबंधक (जीएम) लेबल के काम लिए जा रहे हैं। इसके चलते ही प्रमोशन के हकदार नियमित अफसरों का जीएम लेबल पर प्रमोशन भी नहीं हो रहा है। सलाहकार प्रशासनिक अधिकार हासिल हो जाने से उसका बेजा इस्तेमाल भी कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि हाल ही में सेवानिवृत्त हुए अफसरों को सलाहकार नियुक्त किया गया है। ये अफसर हर फन में माहिर हैं। ऐसे में सलाहकार होने के बावजूद उन्होंने साठ-गांठ कर प्रशासनिक अधिकार हासिल कर लिया। प्रशासनिक ओहदे की आड़ में सलाहकार क्षेत्रों के अफसरों व कर्मचारियों को परेशान कर अपना हित साध रहे हैं।

आवंटित किए गए ये महत्वपूर्ण कार्य

हाल ही में परिवहन निगम मुख्यालय पर कार्यों का आवंटन नए सिरे से किया गया है। नए सिरे से हुए आवंटन में सलाहकारों को महत्वपूर्ण काम दिए गए हैं। इनमें बस स्टेशनों की फूड कैंटीन, स्टॉल व दुकानों से सम्बंधित सभी काम, बस मार्गों पर यात्री प्लाजा व पार्किंग ठेका से सम्बंधित काम, अनुबंधित बसों से सम्बंधित काम, कोरियर, पार्सल सेवा से सम्बंधित काम, संविदा चालक-परिचालक से सम्बंधित सभी काम, अन्तर्राज्यीय बस समझौते से सम्बंधित काम, राष्ट्रीयकृत व गैर-राष्ट्रीयकृत मार्गों से सम्बंधित कार्य, क्षेत्रवार राजस्व प्रतिफलों से सम्बंधित कार्य समेत अन्य महत्वपूर्ण काम आवंटित किए गए हैं।