वाशिंगटनः अमेरिका ने पाकिस्तान में ईशनिंदा के नाम पर चर्चों और अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी पर आक्रोश व्यक्त किया है। अमेरिका ने कहा कि हिंसक अभिव्यक्ति को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जाएगा। पाकिस्तान में धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फैसलाबाद शहर के जरानवाला इलाके में भीड़ ने कुरान की बेअदबी का आरोप लगाते हुए पांच चर्चों को नष्ट कर दिया। इतना ही नहीं चर्च के आसपास रहने वाले लोगों के घर भी जला दिए। उनके साथ मारपीट और लूटपाट भी की गयी। इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस केवल तमाशबीन बनी रही। इस पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि कुरान के अपमान के जवाब में पाकिस्तान में चर्चों और घरों को निशाना बनाए जाने को लेकर अमेरिका चिंतित है। अमेरिका स्वतंत्र अभिव्यक्ति का समर्थन करता है, लेकिन हिंसा या हिंसा की धमकी को अभिव्यक्ति के रूप में कभी स्वीकार नहीं कर सकता। वेदांत पटेल ने पाकिस्तानी अधिकारियों से इन घटनाओं की जांच करने और लोगों से शांति बनाए रखने का आग्रह किया। इस घटना को लेकर पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों में गुस्सा है।
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पाकिस्तान चर्च के प्रमुख बिशप आज़ाद मार्शल ने कहा कि इस घटना के बाद कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं बची है। इस खौफनाक घटना को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। बाइबिल के टुकड़े-टुकड़े करने और कुरान को अपवित्र करने का झूठा आरोप लगाकर ईसाइयों पर अत्याचार किया जा रहा है। ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान के प्रमुख नवीद वाल्टर ने सरकार, अदालतों और पुलिस से न्याय और कार्रवाई की मांग की और कहा कि अल्पसंख्यकों को तत्काल सुरक्षा दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को आश्वस्त किया जाना चाहिए कि जिस देश का स्वतंत्रता दिवस एक दिन पहले हर्षोल्लास के साथ मनाया गया, वह उन्हें अपना मानता है। वाल्टर ने कहा, 1947 में आजादी के बाद से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसदी से घटकर 3 फीसदी रह गई है। सोचने की बात है कि ऐसा क्यों हुआ?
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