रांची: जहां चलना नृत्य है और संगीत बोलना है। हम सब उस भूमि पर 32 जनजातीय वाद्ययंत्रों की अविस्मरणीय गूंज देखेंगे। “रीज रंग रसिका” रैली में जब पारंपरिक वेशभूषा में लोग मांदर की थाप पर नाचेंगे तो पूरा झारखंड झूम उठेगा और वाद्ययंत्रों के संगम से झारखंड आदिवासी महोत्सव की शुरुआत होगी।
आकर्षण का केंद्र रहेगी रैली
झारखंड जनजातीय महोत्सव-2023 में “रीज रंग रसिका” रैली मुख्य आकर्षण का केंद्र होगी। 9 अगस्त को दोपहर 12 बजे रैली धुमकुड़िया भवन, करमटोली चौक से जेल रोड स्थित बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान के लिए निकलेगी। रैली में प्रदेश के 32 विभिन्न जनजातीय वाद्ययंत्रों का संगम होगा। असुर, बंगा, बंजारा, बथुडी, बेदिया, बिंझिया, बिरहोर, बिरजिया, चेरो, चिक-बड़ाइक, गोंड, गोडैल, हो, करमाली, खड़िया, कंवर, खरवार, खोंड, किसान, कोरा, कोरवा, लोहरा, महली, कलाकार माल पहाड़िया, मुंडा, उराँव, परहैया, संथाल, सौरिया पहाड़िया, सावर, भूमिज और कोल जनजातियाँ अपने वाद्ययंत्रों के साथ नजर आएंगी।
यह भी पढ़ेंः-Jharkhand Weather: झारखंड में 12 अगस्त तक झमाझम बारिश, मिलेगी राहत
उत्सव की अंतिम तैयारी
9 और 10 अगस्त को आयोजित होने वाले झारखंड जनजातीय महोत्सव 2023 की तैयारी अंतिम चरण में है। महोत्सव में अरुणाचल प्रदेश, असम, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान के आदिवासी समुदायों के मेहमानों को उनकी परंपरा और संस्कृति से परिचित कराया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत कलाकारों द्वारा नागपुरी, सरायकेला छऊ, डोमकच, पाइका एवं अन्य नृत्य प्रस्तुत किये जायेंगे।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)