Manipur Violence: नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर में दो महिलाओं के साथ हुई अभद्रता की घटना को शर्मनाक बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इस घटना से बेहद दुखी और गुस्से में हैं। उन्होंने कहा कि यह कुछ लोगों की हरकत है लेकिन इससे देश के 140 करोड़ भारतीयों को शर्मसार होना पड़ा है। उन्होंने देश की जनता को आश्वस्त करते हुए कहा कि घटना के आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।
उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से अपने राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति को और मजबूत करने का आग्रह किया। विशेषकर माताओं-बहनों की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिये। चाहे राजस्थान हो, छत्तीसगढ़ हो, मणिपुर हो या देश का कोई भी हिस्सा हो, कानून व्यवस्था बनाए रखना और महिलाओं का सम्मान करना किसी भी राजनीतिक बहस से ऊपर रखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मानसून सत्र शुरू होने से पहले पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बातें कहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि संसद का मानसून सत्र जनहित से जुड़े विधायकों के कारण महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और सांसदों से संसद के मानसून सत्र का सर्वोत्तम उपयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सावन के पवित्र महीने में लोकतंत्र के मंदिर में कई पवित्र कार्य करने का यह सबसे अच्छा अवसर है। प्रधानमंत्री ने यह विश्वास जताते हुए कहा कि सांसद इस सत्र का अधिकतम उपयोग जनहित में करेंगे। यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। कानून बनाना और उन पर विस्तार से चर्चा करना बहुत जरूरी है।
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प्रधानमंत्री ने चर्चा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि जितनी अधिक और अधिक चर्चा होगी, जनहित में उतने ही दूरगामी परिणाम देने वाले फैसले होंगे। उन्होंने कहा कि सांसद जमीन से जुड़े हुए हैं और लोगों का दुख-दर्द समझते हैं। चर्चा होने पर उनकी ओर से जो विचार आते हैं, वे जड़ों से जुड़े विचार होते हैं। यह चर्चा को समृद्ध करता है और निर्णयों को मजबूत और परिणामोन्मुख बनाता है। मौजूदा सत्र में पेश होने वाले विधेयकों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सीधे जनता से जुड़े हैं। हमारी युवा पीढ़ी डिजिटल दुनिया के साथ आगे बढ़ रही है। इस समय डेटा प्रोटेक्शन बिल देश के हर नागरिक को नया आत्मविश्वास देने वाला और दुनिया में भारत का मान बढ़ाने वाला है।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार नेशनल रिसर्च फाउंडेशन विधेयक भी नई शिक्षा नीति के संदर्भ में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। इसके प्रयोग से अनुसंधान नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने विवाद को बातचीत के जरिये समझाने की भारतीय परंपरा का जिक्र किया और कहा कि अब कानूनी आधार देते हुए मध्यस्थता विधेयक लाने की दिशा में यह सत्र बहुत उपयोगी है।
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