नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर (Manipur violence) में सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की मांग करने वाली ट्राइबल फोरम की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता ने कहा कि कोर्ट ऐसा निर्देश नहीं दे सकता। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह के भीतर नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
कमेटी का होगा गठन
हालाँकि, अदालत ने कहा कि लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सुरक्षा बलों की उचित तैनाती होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार एक कमेटी का गठन करे और अगले तीन दिन में सभी पक्ष कमेटी को अपने सुझाव देंगे। सरकार इस समिति में कुकी समुदाय के विधायकों को भी शामिल करने पर विचार कर सकती है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 14 जुलाई या उससे पहले उन सकारात्मक सुझावों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
कुकी समुदाय के प्रतिनिधियों को शामिल करने पर विचार
कोर्ट ने राज्य सरकार को हिंसा पीड़ितों को मुआवजा देने और धार्मिक स्थलों के निर्माण के लिए मुआवजा देने का निर्देश दिया। कोर्ट को बताया गया कि मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति और पुनर्वास की देखभाल के लिए सात जिलों में समितियां गठित की गई हैं। हालाँकि, समितियों में कुकी आदिवासी समुदाय से कोई विधायक नहीं है। सरकार इन समितियों में इन समुदायों के प्रतिनिधियों को शामिल करने पर विचार कर सकती है।
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राज्य सरकार ने इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। मणिपुर सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्थिति में सुधार हो रहा है। इस समय किसी भी अफवाह से बचने की जरूरत है।
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