Somvati Amavasya 2023: कब है सोमवती अमावस्या, बन रहे हैं बेहद दुर्लभ तीन शुभ संयोग

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Somvati Amavasya 2023: नई दिल्लीः सोमवती अमावस्या एक बहुत दुर्लभ योग है। यह पूरे वर्ष में दो या तीन ही होती है। सावन माह में सोमवती अमावस्या बेहद दुर्लभ मानी जाती है। साल 2023 में कुल तीन सोमवती अमावस्या के योग बन रहे हैं। इस साल की पहली सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) फाल्गुन मास में 20 फरवरी को पड़ी थी। वहीं अब दूसरी सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) सावन माह में 17 जुलाई को पड़ रही है। इसके अलावा तीसरी और अंतिम सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) कार्तिक माह में 13 नवम्बर को पड़ेगी। तीनों सोमवती अमावस्या की खास बात यह है कि यह सभी कृष्ण पक्ष में ही पड़ी हैं। इसलिए इन तीनों को कृष्ण सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है।

बेहद शुभ होता है सावन माह

श्रावण माह बेहद शुभ होता है। यह भगवान शिव की आराधना का पावन माह है। इस माह के सभी सोमवार का विषेष महत्व है। सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा करने से भी मनोवांछित इच्छा की पूर्ति होती है। एक तो सावन माह, सोमवार और इस दिन अमावस्या का होना ये तीनों संयोग बनने से सोमवती अमावस्या और भी ज्यादा खास हो गयी है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और बिगड़े कार्य भी बन जाते हैं।

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल सावन के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि रविवार 16 जुलाई को रात 10.08 बजे से शुरू हो रही है ओर इसका समापन 18 जुलाई को 12.01 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) 17 जुलाई को पड़ेगी।

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सावन सोमवती अमावस्या का व्रत और पूजा

इस दिन भगवान शिव का व्रत रखने और विधि-विधान से उनकी पूजा करने से मनोवांछित फल और अभीष्ट की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर गाय के दूध, दही, घी, शहद और शुद्ध जल से अभिषेक करेंगे। इसके बाद भगवान भोलेनाथ को मौसमी फल और मिष्ठान का भोग लगायें। सफेद फूलों से भगवान का श्रृंगार करें। इसके सोमवती अमावस्या को भगवान महादेव और मां पार्वती की पूजा-आराधना और आरती जरूर करें। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ‘ऊँ नमः शिवाय’ का जाप करें।

सोमवती अमावस्या पर करें ये काम

सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दिन हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ की पूजा का विधान है। पुराणों में उल्लेख है कि पीपल के पेड़ में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। जो व्यक्ति सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के दिन से पीपल की परिक्रमा करता है, उनके जीवन में सुख, शांति और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

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