लखनऊः एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार देश-विदेश से इन्वेस्टमेंट लाकर यूपी को देश में नंबर वन बनाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के हृदय स्थल और राजधानी में थाना चिनहट की पुलिस (Chinhat police station) कंपनियों, व्यापारियों और आम जनमानस का उत्पीड़न करने में लिप्त है। विगत दो महीनों में चिनहट थाना से संबंधित कई तरह के प्रकरण सामने आए हैं, उच्चाधिकारियों के सख्त दिशा-निर्देशों के बावजूद चिनहट पुलिस का रवैया उत्पीड़नात्मक रहा है।
इसी क्रम में चिनहट क्षेत्र में बन रही एक कंपनी की आवासीय योजना जो लखनऊ विकास प्राधिकरण से स्वीकृत है, जिसका परमिट नंबर 42654 है व प्रोजेक्ट रेरा रजिस्टर्ड है और रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर UPRERAPRJ14513 है, का बाह्य विकास कार्य किया जा रहा था। योजना लगभग तैयार हो चुकी है और चूंकि बरसात आने वाली है इसलिए कंपनी द्वारा अंदर की सड़कें और सर्फेस को साफ कर अतिरिक्त मिट्टी हटाकर अपनी स्वयं की जेसीबी से अपनी ही स्वामित्व की भूमि में डाली जा रही थी।
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चिनहट पुलिस को सरकार की नीतियों की कोई परवाह नहीं
इसी दौरान 04 जून को दोपहर 01 बजे परिसर से बाहर मिट्टी निकालते समय चिनहट थाने की पुलिस (Chinhat police station) आई और जेसीबी को मय ड्राइवर व कुछ लेबरों को थाने लेकर चली गई। साइट के सुपरवाइजर ने बताया कि थाने में पहुंचकर पुलिस कर्मियों को सच्चाई बताने का प्रयत्न किया कि नियम विरूद्ध कोई कार्य नहीं किया गया है और मौके पर इसकी जांच भी की जा सकती है। चूंकि बिल्डिंग का निर्माण पूर्ण हो जाने के बाद बैचिंग प्लांट को भरने के लिए मिट्टी का रैंप परिसर के अंदर बना हुआ था, जिसे हटाकर अतिरिक्त मिट्टी बाहर स्वयं की अपनी जमीन में डाली जा रही थी। किसी प्रकार का कोई खनन का कार्य नही किया गया है, बावजूद इसके अवैध तरीके से जेसीबी नंबर- UP32FN4922 मशीन को चिनहट थाने में ले जाकर एमवी एक्ट 207 में गाड़ी को सीज कर दिया गया।
उपरोक्त मशीन को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लखनऊ ने 06 जून को पंजीकृत स्वामी/चालक के पक्ष में मुक्त करने का आदेश पारित किया। जिसे कोर्ट मुहर्रिर ने 06 जून को ही चिनहट थाने में वाहन छोड़े जाने संबंधी आदेश की प्रति रिसीव करवा दी, जिसके उपरांत वाहन चालक व सुपरवाइजर वाहन लेने चिनहट थाने पहुंचे। थाने में मौजूद पुलिसकर्मी अभी थोड़ी देर-थोड़ी देर करते रहे, परंतु कई दिनों इन कर्मचारियों के चिनहट थाने के चक्कर लगाने के बाद भी अभी तक वाहन को उसके पंजीकृत स्वामी-चालक के पक्ष में मुक्त नहीं किया गया है।
तानाशाही और भ्रष्टाचार में लिप्त चिनहट थाने की पुलिस
तानाशाही और भ्रष्टाचार में लिप्त चिनहट थाने (Chinhat police station) पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश का भी कोई असर अभी तक नहीं हुआ है और न ही चिनहट थाने को उत्तर प्रदेश सरकार की नीतियों की कोई परवाह है। कंपनी क्रेडाई की सदस्य है, जिसने चिनहट क्षेत्र में ही दो बड़ी आवासीय योजनाओं का एमओयू भी उत्तर प्रदेश सरकार के साथ किया है, जिसे शीघ्र शुरू किया जाना है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश का पालन न करना हैरान कर देने वाला है।
कंपनी का कथन है कि निर्माणाधीन परिसर में उसी दिन से काम रुका हुआ है और बरसात के पहले परिसर में एकत्र अतिरिक्त मिट्टी को बाहर निकाला जाना था परंतु मशीन को अवैध रूप से बंद किए जाने के बाद परिसर के अंदर जमा अतिरिक्त मिट्टी अभी वैसे ही पड़ी हुई है। कंपनी के सुपरवाइजर ने बताया कि निर्माणाधीन परिसर में किसी प्रकार का कोई बेसमेंट नहीं बना है। मात्र परिसर में बैचिंग प्लांट हेतु बनाए गए रैंप व सर्फेस पर की जा रही ट्रिमिकिं्सग के कारण अतिरिक्त मिट्टी निकाली जा रही थी।
पुलिस का सॉफ्ट टारगेट में निर्माण कार्य में लगी मशीनें
इस समय चिनहट पुलिस के सॉफ्ट टारगेट में निर्माण गतिविधियों से जुड़े वाहन, मशीनें, गिट्टी-मोरंग गिराने वाली ट्रकें, ट्रैक्टर व ट्राली हैं। इसी प्रकार से एक और अवैध रूप से सीज किए गए वाहन संख्या UP41AT0254 को छोड़े जाने का आदेश मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के देने के बावजूद इस वाहन को भी अभी तक चिनहट थाने से मुक्त नहीं किया गया है।
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