पटनाः बिहार में 12 जून को होने वाली विपक्षी एकता की बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शामिल होने पर संशय बरकरार है। दरअसल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के राजनैतिक संबंध कुछ सालों से अच्छे नहीं चल रहे हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को लेकर केजरीवाल अक्सर हमलावर ही रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस भी अरविंद केजरीवाल को लेकर सहज महसूस नहीं करती। इस तरह देखा जाए तो दिल्ली और पंजाब विधानसभा चुनाव में आप ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया है।
ऐसे में विपक्षी एकता की बैठक में दोनों का एक मंच पर साथ खड़े होने पर संशय ही है। वहीं अब तक इस बैठक में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का समर्थन भी नहीं मिला है। कांग्रेस का यह कहना है कि अगर विपक्षी दल एकता के समर्थन में एक साथ खड़े नहीं होते हैं तो कांग्रेस और अन्य दल इसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा का समर्थक ही मानेगी।
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बिहार में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने स्पष्ट कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए जो लोग साथ आएंगे उन्हें ही विपक्षी एकता का साथ माना जाएगा। जो लोग साथ नहीं आएंगे। वह अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से भाजपा का समर्थन करने वाले ही कहे जाएंगे। वहीं राजनीति जानकारों का यह भी मानना है कि 12 जून को पटना में होने वाले विपक्षी एकता की इस बैठक में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव के बाद अब सीएम अरविंद केजरीवाल भी शामिल नहीं हो सकते हैं।
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