नई दिल्ली: दिल्ली में अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार ने शुक्रवार देर रात एक अध्यादेश जारी किया है। अध्यादेश के अनुसार, तीन सदस्यीय राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण का गठन किया जाएगा, जो आपसी सहमति के आधार पर निर्णय लेगा और किसी भी असहमति पर अंतिम निर्णय उपराज्यपाल का होगा। इस अध्यादेश पर आम आदमी पार्टी (आप) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार देर रात जारी अध्यादेश के मुताबिक, दिल्ली के मुख्यमंत्री प्राधिकरण के अध्यक्ष होंगे और दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के प्रमुख गृह सचिव इसके पदेन सदस्य होंगे। सभी फैसले बहुमत के आधार पर लिए जाएंगे। दानिक्स अधिकारियों और दिल्ली में सेवारत सभी ग्रुप ए अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति की सिफारिश करना प्राधिकरण की जिम्मेदारी होगी।
प्राधिकरण एलजी को सिफारिशें करेगा जिसके बारे में एलजी को पूछताछ करने का अधिकार होगा। यदि उपराज्यपाल प्राधिकरण की सिफारिश से भिन्न राय रखते हैं, तो वे लिखित कारणों के साथ फाइल को वापस कर सकते हैं। मतभेद की स्थिति में एलजी का फैसला अंतिम होगा। प्राधिकरण कुछ को छोड़कर सभी ग्रुप ए अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और अभियोजन की मंजूरी के उद्देश्य से सतर्कता और गैर-सतर्कता मामलों की सिफारिश करेगा।
गौरतलब है कि 11 मई को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली में तबादला-पोस्टिंग और सतर्कता विभाग चुनी हुई सरकार का अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डरी हुई है केंद्र सरकार: आतिशी
दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना ने केंद्र सरकार के इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच के आदेश की अवमानना करार दिया। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को सत्ता मिलने के डर से केंद्र सरकार यह अध्यादेश लाई है। अजीब बात है कि भले ही दिल्ली की जनता ने 90 फीसदी सीटें अरविंद केजरीवाल को दे दी हों, लेकिन अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सरकार नहीं चला सकते। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले से डरी हुई है।
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केंद्र सरकार के इस अध्यादेश को लेकर आप के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह अध्यादेश लाकर एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह तानाशाह हैं।
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