Tuesday, January 7, 2025
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Chaiti Chhath 2023: कब है चैती छठ, जानें नहाय खाय से लेकर सूर्य अर्घ्य की तिथियां और पूजा का महत्व

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नई दिल्लीः साल में दो बार आस्था का महापर्व छठ पूजा की जाती है। पहली चैत्र माह और दूसरी कार्तिक माह में छठ का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में छठ पर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा भगवान सूर्य को समर्पित होती है। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को चैत्र छठ का पर्व मनाया जाएगा। इसे चैती छठ (Chaiti Chhath) के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष चैती छठ 25 से 28 मार्च के बीच मनाया जाएगा। 25 मार्च को नहाय खाय के साथ पर्व का शुभारंभ होगा। चार दिनों के महापर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। चैत्र माह के छठ पर्व के बाद ग्रीष्म ऋतु का प्रभाव बढ़ने लगता है और कार्तिक माह के छठ (Chhath) पर्व के साथ ही शीत ऋतु का प्रभाव बढ़ जाता है। इस तरह यह भी माना जाता है यह पर्व ऋतु परिवर्तन से भी संबंधित है। छठ (Chhath) पर्व पर महिलाएं निर्जला व्रत कर संतान और परिवार की मंगलकामना के लिए भगवान सूर्य की विधिवत पूजा कर अर्घ्य देती हैं। चार दिनों के इस महापर्व की शुरूआत नहाय खाय से होती है। इसके बाद खरना और फिर डूबते-उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह व्रत संपन्न होता है। आइए जानते हैं चैती छठ की तिथियां और शुभ योग के बारे में।

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चैती छठ 2023 (Chaiti Chhath) की तिथियां

नहाय खाय- 25 मार्च (शनिवार)।
खरना- 26 मार्च (रविवार)।
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य- 27 मार्च (सोमवार)।
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य- 28 मार्च (मंगलवार)।

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चैती छठ (Chaiti Chhath) पर बन रहे शुभ योग

लोकआस्था के महापर्व चैती छठ (Chaiti Chhath) पर कई शुभ योग बन रहे हैं। 26 मार्च को खरना के दिन कृतिका नक्षत्र होगा। इसके साथ ही प्रीति एवं रवियोग भी लग रहे हैं। 27 मार्च (सोमवार) को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने वाले दिन आयुष्मान योग, रोहिणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग लग रहे हैं। वहीं उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने वाले समय 28 मार्च को मृगशिरा नक्षत्र, सौभाग्य और सर्वार्थ सिद्धि योग का पुण्य लाभ व्रती को प्राप्त होगा।

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चैती छठ (Chaiti Chhath) का महत्व

चैत्र माह का चैती छठ (Chaiti Chhath) हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। इसका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि इस दौरान चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) भी चल रहे होते हैं। मां दुर्गा की आराधना के साथ ही भगवान सूर्य की भक्ति से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। चैती छठ (Chaiti Chhath) नवरात्रि के छठवें दिन मनाते हैं। इस दिन मां भगवती के छठें स्वरूप देवी कात्यायनी की आराधना होती है। जबकि नहाय खाय के दिन मां कूष्मांडा की आराधना होती है। वही खरना के दिन मां स्कंद माता की पूजा की जाती है। इसलिए चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) के दौरान जो भक्त भक्तिभाव के साथ छठी माता की पूजा करते हैं। उनकी सभी मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं। साथ ही बल, आरोग्य, समृद्धि और संतान सुख का आशीर्वाद भी मिलता है।

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