नई दिल्ली: लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रभावी प्रशासन और जन-केंद्रित नीतियों को समाज के विकास का आधार बताते हुए कहा है कि सिविल सेवा का मूल आधार सुशासन है।
संसद भवन परिसर में भारतीय रेल कार्मिक सेवा तथा भारतीय राजस्व सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रतिष्ठित सेवाओं में उनके चयन पर बधाई देते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने आगे कहा कि उनके निर्णय लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं। इसलिए सभी युवा अधिकारियों का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण में सकारात्मक भूमिका निभाने का होना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि वे जनमानस की आकांक्षाओं से परिचित रहें और अपने कार्यकलाप में उनके हितों को समाहित करें।
संसद भवन परिसर में संसदीय शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम में बिरला ने देश की विविधता का उल्लेख करते हुए कहा कि सिविल सेवाएं तथा उनके प्रशिक्षु अधिकारी देश की सांस्कृतिक, भाषाई, एवं शैक्षिक विविधता का प्रतिबिंब हैं। सुशासन को सिविल सेवा का मूल आधार बताते हुए लोक सभा अध्यक्ष ने जोर देकर कहा कि शिक्षण, प्रशिक्षण, ²ढ़ संकल्प, व्यापक अनुभव एवं दायित्वबोध सकारात्मक परिवर्तन और जनसेवा के लिए आवश्यक हैं। लोक केंद्रित शासन व्यवस्था सिविल सेवकों का महत्वपूर्ण दायित्व है। प्रभावी प्रशासन और जन-केंद्रित नीतियां समाज के विकास का आधार हैं जो युवा अधिकारियों की निष्ठा और सामथ्र्य से ही संभव है।
देश के विकास में नई प्रौद्योगिकी और तकनीक के उपयोग पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जनसेवा और देशसेवा के लिए नई सोच और सार्थक विचार आवश्यक हैं, जिसकी जिम्मेदारी युवा अधिकारियों के कंधों पर है। उन्होंने आगे कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से आमजन की शासन व प्रशासन तक पहुंच आसान हुई है, जिससे पारदर्शिता बढ़ी है और लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिला है।
अमृत काल से स्वर्ण काल की दिशा में देश के बढ़ते कदमों में युवा भागीदारी की अहम भूमिका का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि भारत 2047 में विश्व का नेतृत्व करेगा, जिसके कारण आने वाले 25 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अमृत काल में भारत के विकास में ऊर्जावान, योग्य, और युवा सिविल सेवा अधिकारियों की भूमिका अतुलनीय रहेगी।
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