Friday, December 27, 2024
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भोपाल : 8 हजार फर्जी सिम मामले में टेलीकॉम कंपनी पर लगा दो लाख का जुर्माना

भोपाल : अपर पुलिस महानिदेशक योगेश देशमुख के निर्देश पर साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश राज्य साइबर पुलिस ने आठ हजार से अधिक संदिग्ध सिमों को न सिर्फ ब्लॉक किया, बल्कि टेलीकॉम कंपनी के खिलाफ दूरसंचार विभाग को भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। संदिग्ध सिम को ब्लॉक करने में लापरवाही करने वाले   टेलीकॉम कंपनी पर 1 लाख 83000 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

इससे पहले इसी कड़ी में मार्च 2022 में साइबर पुलिस जोन-ग्वालियर ने गहन तकनीकी विश्लेषण और निरंतर प्रयासों से एक टेलीकॉम कंपनी के 7,948 संदिग्ध मोबाइल नंबरों को ब्लॉक करने में सफलता हासिल की थी। अपर पुलिस महानिदेशक देशमुख ने बुधवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि राज्य साइबर अंचल ग्वालियर में वर्ष 2020 में फेसबुक पर फर्जी विज्ञापन देकर कार बेचने के नाम पर एक लाख 75 हजार रुपये की धोखाधड़ी की शिकायत प्राप्त हुई थी।

मध्य प्रदेश के शिवपुरी और गुना जिलों से जारी किए गए फर्जी सिम और फर्जी पेटीएम खातों का इस्तेमाल किया जाना पाया गया। साइबर जोन ग्वालियर के पुलिस अधीक्षक सुधीर अग्रवाल के नेतृत्व में निरीक्षक दिनेश कुमार गुप्ता, यूनी0 अनिल शर्मा आदि की टीम ने मामले की गहनता से जांच करते हुए अवैध वसूली करने वाले आठ आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। फर्जी सिम और फर्जी पेटीएम अकाउंट बनाना। लेकिन इसके साथ ही मामले में प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण कर 20,000 से अधिक संदिग्ध मोबाइल नंबरों की भी पहचान की गई और इनकी एक सूची संबंधित सेवा प्रदाताओं को सत्यापन के लिए भेजी गई।

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मार्च 2022 में एक टेलीकॉम कंपनी के 7 हजार 948 सिम ब्लॉक कर दिए गए। बाद में इसी कंपनी ने 239 अन्य सिम ब्लॉक कर दिए। लेकिन दूसरी टेलीकॉम कंपनी द्वारा री-वेरिफिकेशन में सभी सिम सही पाए जाने की बात कहते हुए कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस पर राज्य साइबर पुलिस द्वारा उपलब्ध साक्ष्यों के साथ डीजी टेलीकॉम को सूचना भेजी गई। इसके बाद दूरसंचार अधिकारी द्वारा सिम की फिर से जांच की गई, जिसके बाद 583 सिम को ब्लॉक करने के अलावा संबंधित टेलीकॉम कंपनी पर 1,83,000/- रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

आपको बता दें कि साइबर अपराधियों द्वारा इस तरह के फर्जी गानों का इस्तेमाल कर साइबर क्राइम खासकर देश के नागरिकों के साथ ठगी की जाती है। अपराधों की जांच पर पुलिस असली साइबर अपराधियों तक नहीं पहुंच पाती, क्योंकि ये सिम निर्दोष नागरिकों की आईडी होती है। इन सिमों को जारी करने में निर्दोष नागरिकों की आई.डी. जिन लोगों की आईडी किसी अपराध में इस्तेमाल किए गए सिम में इस्तेमाल होती है, उन्हें पूछताछ में अपनी बेगुनाही साबित करनी होती है।

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