मुंबई: संगम, हरिद्वार या मेले के बड़े आयोजनों में लोगों की गुमशुदगी की कहानियां बहुत सुनी गई हैं। लेकिन मुंबई से सटे मुंब्रा से गायब हुए एक लड़के की अजीबो-गरीब कहानी सामने आई है। उसे ठाणे के कपूरबावड़ी स्थित आधार कार्ड (यूआईडीएआई) की टीम ने अस्पताल की मदद से मां-बाप से मिलवाया है। पहली बार हुआ है, जब आधारकार्ड मददगार साबित हुआ है।
दरअसल, मुंब्रा के सैनिक नगर में रहने वाले समसुद्दीन शेख का 20 वर्षीय बेटा शारिक एक साल पहले लापता हो गया था। गरीब मां-बाप ने बेटे की हरसंभव तलाश की बेटा नहीं मिला। थक हार-चुके और उम्मीद छोड़ चुके मां-बाप को बीते दिनों फोन आया, क्या आपका बेटा लापता है? यदि है तो पहचान करने आ जाइए। सामने से आवाज थी, ठाणे के कापूरवाड़ी आधारकार्ड केंद्र के प्रभारी कैप्टन चंद्रदेव यादव की। कैप्टन यादव की निशानदेही पर अस्पताल पहुंचा पिता जैसे ही बेटा से मिला, दोनों गले मिलकर फफफकर रोने लगे। वहां मौजूद लोगों की भी आंखें भर आईं। फिलहाल तकनीक ने मां-बाप और बेटे को मिलाकर उनके चेहरों पर खुशियां ला दी हैं। लेकिन यह मामला इतना भी आसान नहीं था। क्योंकि मामला मेंटल हॉस्पिटल से जुड़ा हुआ था। आखिरकार नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी कैप्टन यादव की नेतृत्व वाली टीम वरिष्ठों को भरोसे में लेकर सभी नियमों को पूर कर यह काम करने में सफल रही।
ये भी पढ़ें..सड़कों पर अब ‘बाइक टैक्सी’ दिखी तो खैर नहीं ! परिवहन…
बेटे के मिलने की उम्मीद छोड़ चुकी थी मां –
समसुद्दीन शेख अनुसार बेटे को बहुत ढूंढा लेकिन उसका पता नहीं चला। उनका बेटा शारिक थोड़ा मतिमंद है। लेकिन घर में हर काम में हाथ बंटाता था। मिलने के बाद सारिक ने बताया कि भटकते-भटकते नासिक जा पहुंचा, इसके बाद पता नहीं कैसे ठाणे मेंटल हॉस्पिटल पहुंचा। बेटे की उम्मीद छोड़ चुकी मां जिसका रोज रो-रोकर बुरा हाल था, वह भी अब खुश है। घर पहुंचते ही शारिक ने आस-पास के लोगों को भी पहचान लिया है। वह भी खुश है। इसके लिए हम आधार कार्ड टीम और अस्पताल प्रबंधन का आभार मानते हैं।
अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. नेताजी मुलिक के अनुसार इस तरह का मामला मनोरोग चिकित्सालय के इतिहास में पहली बार हुआ है, जिसमें आधारकार्ड विभाग द्वारा अज्ञात मरीज व परिजन से मुलाकात कराई गई है। अस्पताल ने सारी प्रक्रिया पूरी कर शारिक को उसके परिजनों को सौंप दिया है। शारिक को तीन महीने पहले कोर्ट के आदेश पर नवी मुंबई पुलिस द्वारा अस्पताल को सौंपा गया था। आधार केंद्र के प्रभारी कैप्टन यादव बताते हैं कि क्षेत्रीय विभाग प्रमुख निदेशक ले. कर्नल मुलिक व वरिष्ठ अधिकारियों से इस काम में भरपूर सहयोग मिला। कुल 282 आधार कार्ड अप्लाई हुए जिसमें से 171 बन गए हैं, शेष प्रोसेस में हैं। सारिक के परिजनों को ढूंढने में हमारी टीम सफल रही। कुछ और गुमशुदा मरीज हैं, जिनके परिवार वालों का पता लगाने का प्रयास हमारी टीम कर रही है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)