जयपुरः कांग्रेस ने अडानी ग्रुप से जुड़े मामले को क्रोनी कैपिटलिज्म की मिसाल बताते हुए ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी जेपीसी की मांग की है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने निशाना साधते हुए कहा कि एक फिल्म आई थी हम आपके हैं कौन? लेकिन अब इसका दूसरा भाग तैयार किया गया है। देश का हर शख्स पूछ रहा है कि हमारा अडानी से क्या रिश्ता है? सदन में इस मुद्दे पर सवाल पूछे जाते हैं तो उन्हें कार्रवाई से अलग किया जा रहा है। संसद में कांग्रेस नेताओं ने मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी बनाने की मांग की। जब मांग नहीं मानी गई तो कांग्रेस पार्टी ने देश के तमाम राज्यों में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार से इस मामले में जवाब मांगा। इसी कड़ी में जयपुर में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पत्रकार वार्ता कर केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच एजेंसियों पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में 609वें स्थान पर रहने वाला शख्स दूसरे नंबर पर कैसे आ गया और बाकी लोग जैसे हैं वैसे ही रह गए? आखिर इसका क्या फॉर्मूला है और ये फॉर्मूला देश के दूसरे लोगों को भी बताना चाहिए ताकि वो भी तरक्की कर सकें। केंद्र सरकार ने बिजली, बंदरगाह, हवाई अड्डे और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी अडानी के एकाधिकार को बढ़ावा दिया है। इसका खामियाजा देश के MSME सेक्टर से जुड़े लोगों को भी भुगतना पड़ा है। उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस पार्टी ने संसद से लेकर सड़क तक विरोध शुरू कर दिया है। संसद में कांग्रेस नेताओं ने इस मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से कराने की मांग की है।
गौरव वल्लभ ने शुक्रवार को पीसीसी मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास और कांग्रेस नेता आरसी चौधरी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि एआईसीसी देश भर के राज्यों में इस मुद्दे को उठा रही है क्योंकि केंद्र सरकार संसद में कांग्रेस सांसदों, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के सवालों का जवाब नहीं दे रही है। कांग्रेस सांसदों के आरोपों को संसदीय कार्यवाही से बाहर किया जाता है। लेकिन इससे ये सवाल दबेंगे नहीं, हम जनता के बीच सवाल उठा रहे हैं।
गौरव वल्लभ ने कहा कि हम दुनिया के अमीरों की सूची में 609वें से दूसरे स्थान पर आने वाले व्यक्ति के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हम निस्संदेह राज्य प्रायोजित निजी एकाधिकार के खिलाफ हैं क्योंकि वे जनहित के खिलाफ हैं।
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