ढाकाः बांग्लादेश में हिंदुओं और मंदिरों पर हमले की बढ़ती घटनाओं से हिंदू अल्पसंख्यक डर के साए में जीने को मजबूर हैं। गत सप्ताह बांग्लादेश स्थित ठाकुरगंज जिले में कुछ अज्ञात हमलावरों ने 14 हिंदू मंदिरों में तोड़-फोड़ कर देवी-देवताओं की मूर्तियों को तालाब में फेंक दिया और जमकर उत्पात मचाया। इस मामले में स्थानीय प्रशासन ने दावा किया है कि इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। हालांकि, घटना के बाद अब तक किसी शख्स की गिरफ्तारी की कोई भी सूचना सामने नहीं आई है। पड़ोसी देश में हुए ऐसे मामलों के आंकड़ों पर नजर डालें तो अब तक कट्टरपंथियों द्वारा करीब 128 हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया जा चुका है।
बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई ओइक्या परिषद के संयुक्त महासचिव मोनिंद्र कुमार नाथ ने सोमवार को अपने एक बयान के माध्यम से बताया कि ठाकुरगांव जिले के बलियाडांगा उपजिला में तीन संघों के विभिन्न मंदिरों के देवी-देवताओं की 14 मूर्तियों को तोड़ा गया। हम इस घटना से स्तब्ध हैं। साम्प्रदायिक हमलों से प्रभावित तीन यूनियनों में धनतला यूनियन के पास वर्तमान में 80 फीसदी, परिया संघ में 75 फीसदी और चारोल संघ में 45 फीसदी हिंदू रहते हैं। आजादी से पहले और आजादी के बाद इन इलाकों में ऐसी घटना पहले कभी किसी ने नहीं देखी। जानकारी के मुताबिक, मंदिर के कुछ हिस्से में देवी-देवताओं की मूर्तियों को तोड़ा गया है। स्थानीय निवासियों को इलाके के तालाबों में मूर्तियों के टूटे हुए हिस्से मिले, जिसके बाद पुलिस को तुरंत सूचना दी गई। बलियाडांगी थाने की पुलिस मामले में जांच को अंजाम दे रही है। एक स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक, ठाकुरगांव के उपायुक्त एमडी हमबूब रहमान ने कहा है कि मंदिरों पर हमला करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पुलिस अधीक्षक और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ घटनास्थल का दौरा कर अपने बयान में बताया कि इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
मनिंद्र कुमार नाथ ने कहा अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। मैंने ठाकुरगांव के पुलिस अधीक्षक से बात की है। उन्होंने हमलावरों की गतिविधियों के बारे में बताया है। हम उनकी बातों पर भरोसा नहीं कर सकते। अगर इस तरह की घटनाओं में किसी की गिरफ्तारी भी होती है, तो उसे जमानत पर रिहा कर दिया जाता है। अगर पहले की घटनाओं में कार्रवाई की जाती तो ऐसी घटनाएं बार-बार नहीं होतीं। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पिछले चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि वे धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग बनाएंगे। अभी तक इस पर कोई विचार नहीं किया गया है। बलियाडांगी के एक हिंदू समुदाय के नेता बैद्यनाथ बर्मन ने कहा कि अज्ञात बदमाशों ने तीन संघ क्षेत्रों के 14 मंदिरों में तोड़-फोड़ की है। कई प्रतिमाएं तोड़कर तालाब में फेंक दी गई। हम इस बात को लेकर पूरी तरह अंधेरे में हैं कि ये हमलावर कौन हैं और उन्होंने ऐसा क्यों किया। मैं उन्हें गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा की मांग करता हूं। संघ परिषद के अध्यक्ष समर चट्टोपाध्याय कहते हैं कि यहां हमेशा सौहार्दपूर्ण माहौल रहता है। मुस्लिम समुदाय से हमारे अच्छे सम्बंध हैं। हिंदुओं पर इतना बड़ा हमला इससे पहले कभी नहीं हुआ। मुझे समझ नहीं आया कि यह किसने किया। बलियाडांगी थाना प्रभारी खैरूल अनम ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह सुनियोजित हमला था और बदमाशों का मकसद इलाके में शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ना था। मामले के मद्देनजर जो भी दोषी होगा, उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
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लगातार होते रहते हैं हमले
बांग्लादेश की कुल आबादी का करीब 7.95 फीसदी हिंदू समुदाय हैं, जो कि देश में दूसरे नम्बर पर हैं। अब ऐसे में बांग्लादेश में लगातार सामने आ रही हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाएं जाहिर तौर पर परेशान और निराश करने वाली हैं। हालिया तौर पर सामने आए 14 हिंदू मंदिरों पर हमले के अलावा बीते साल 2022 में भी हिंदू समुदाय को परेशान करने और उनके मंदिरो को तोड़ने के कई मामले सामने आए थे। एक रिपोर्ट की मानें तो बीते साल 2022 के नवम्बर माह में मध्य बांग्लादेश के मानिकगंज जिले में एक 200 साल पुराने हिंदू मंदिर को तोड़ने का मामला सामने आया था। इसके अतिरिक्त 18 नवम्बर 2022 के दिन ढाका डिवीजन के भुअनपुर में एक हिंदू परिवार पर हमला करते हुए उनके घर में बने पूजा मंडप को तोड़ दिया गया। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा देश में हिंदुओं को समान अधिकार देने की बात कहने के बावजूद लगातार सामने आ रही ऐसी घटनाएं परेशान करने वाली हैं।
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