लखनऊः उत्तर प्रदेश पुलिस कर्मियों को सोशल मीडिया पर रील्स या वीडियो अपलोड करना या फिर बिना सोचे समझे कमेंट करना, या फिर ये कहा जाए कि सोशल मीडिया पर एक्टिव रहना भारी पड़ सकता है। पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया के उपयोग के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। सोशल मीडिया की नई पॉलिसी यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम पर अपना चेहरा चमकाने वाले पुलिसकर्मियों के लिए यह एक बड़े झटके से कम नहीं। उनको अब पोस्ट से पहले काफी सतर्क रहना होगा कि कहीं वह किसी नियम का उल्लघंन तो नहीं कर रहे जिसको लेकर बाद में मुसीबत में फंस जाएं।
दरअसल यूपी पुलिस ने नई सोशल मीडिया पॉलिसी के तहत कड़े निर्देश दिए हैं। यूपी के डीजीपी डीएस चैहान की मंजूरी के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से इस संबंध में आदेश जारी हुआ है। पुलिस कर्मी ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया साइट का उपयोग नहीं कर पाएंगे। ड्यूटी के बाद भी वर्दी में रील बनाने पर रोक लगा दी गई है। किसी भी स्थान पर तैनाती के बाद पुलिसकर्मी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर लाइव टेलीकास्ट नहीं कर पाएंगे। योगी सरकार ने बुधवार को पुलिस कर्मियों के लिए सोशल मीडिया की नई पॉलिसी जारी कर दी है।
रील्स व वीडियों बनाने में कई तरह के प्रतिबंध
नई पॉलिसी में रील्स बनाने पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। नईपॉलिसी में सरकारी कार्य के दौरान सोशल मीडिया का व्यक्तिगत प्रयोग प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही ड्यूटी के दौरान अपने कार्यालय एवं कार्यस्थल पर वर्दी में वीडियो व रील्स बनाने या किसी भी कर्मचारी के अपने व्यक्तिगत सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर लाइव टेलीकास्ट करने की भी मनाही है। इतना ही नहीं ड्यूटी के बाद भी वर्दी में किसी भी प्रकार की ऐसी वीडियो अथवा रील्स इत्यादि जिससे पुलिस की छवि धूमिल होती हो, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना प्रतिबंधित किया गया है।
मोनेटाइजेशन के लिए लेनी होगी इजाजत
पुलिस कर्मचारियों को सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पैसे कमाने के लिए सरकार से इजाजत लेनी होगी। सोशल मीडिया पॉलिसी के मुताबिक, थाना, पुलिस लाइन, दफ्तर इत्यादि के निरीक्षण एवं पुलिस ड्रिल फायरिंग में भाग लेने का से सम्बन्धित वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड करना भी प्रतिबंधित है। साथ ही अपने कार्यस्थल से सम्बन्धित किसी वीडियो व रील्स इत्यादि के जरिये शिकायतकर्ता से बातचीत का लाइव टेलीकास्ट व वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म से किसी भी व्यक्तिगत, व्यवसायिक कम्पनी अथवा उत्पादध्सेवा का प्रचार-प्रसार किया जाना प्रतिबंधित किया जाता है।
किसी नेता के खिलाफ या पक्ष में कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी
पुलिस कार्मिकों द्वारा सरकार या उसकी नीतियों, कार्यक्रमों अथवा राजनैतिक दल, राजनैतिक व्यक्ति, राजनीतिक विचारधारा एवं राजनेता के संबंध में सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कोई टिप्पणी नहीं की जायेगी। किसी भी गोपनीय सरकारी दस्तावेज, हस्ताक्षरित रिपोर्ट अथवा पीड़ित के प्रार्थना-पत्र को सरकारी या व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नहीं डाला जायेगा। किसी भी यौन शोषित पीड़िता तथा किशोर आरोपित दोषी (जुवेनाइल ऑफेंडर्स) की पहचान अथवा नाम व अन्य सम्बन्धित विवरण सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर उजागर नहीं किया जाएगा।
पुलिसकर्मियों के लिए सोशल मीडिया पर इन चीजों की रहेगी आजादी
सोशल मीडिया पर एक पुलिसकर्मियों को सामान्य नागरिक की तरह वे सभी चीजें करने की आजादी रहेगी, जिसकी इजाजत उन्हें सरकारी नौकरी से जुड़े नियम देते हैं। इसके लिए पुलिस कर्मचारी को सोशल मडिया पर अपनी अभिव्यक्ति के बारे में ‘निजी विचार’ का डिस्क्लेमर लगाकर पोस्ट करना होगा। पुलिसकर्मियों द्वारा ‘सोशल मीडिया पॉलिसी’के निर्देशों का पालन नहीं किये जाने की स्थिति में नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करने की बात कही गई है।
(रिपोर्ट- पवन सिंह चौहान, लखनऊ)
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