Thursday, January 16, 2025
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फर्जी वेबसाइट बनाकर 1800 पेंशनरों को लगाया चूना, पुलिस ने 4 को दबोचा

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट ने एक सरकारी पोर्टल से डेटा चोरी करने और एक फर्जी वेबसाइट बनाने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। इस वेबसाइट के जरिए आरोपियों ने 1,800 से अधिक पेंशनभोगियों को ठगा था। आरोपियों की पहचान ग्रेटर नोएडा निवासी अमित खोसा, नोएडा से कणव कपूर, हैदराबाद के बिनॉय सरकार और शंकर मंडल के रूप में हुई।

केंद्र सरकार का जीवन प्रमाण पोर्टल पेंशनरों के लिए एक बायोमेट्रिक सक्षम डिजिटल सेवा है। आरोपियों ने लाभार्थियों को ठगने के लिए फर्जी वेबसाइट जीवन प्रमाण डॉट ऑनलाइन बनाई। इसमें अधिकांश सामग्री वास्तविक सरकारी वेबसाइट से कॉपी की गई थी। पुलिस उपायुक्त (आईएफएसओ) प्रशांत गौतम के अनुसार, पुलिस को हाल ही में राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र से फर्जी वेबसाइट बनाने की शिकायत मिली थी। डीसीपी ने कहा, ज्यादातर कंटेंट वास्तविक सरकारी पोर्टल से कॉपी की गई थी और वे इस फर्जी वेबसाइट के माध्यम से जीवन प्रमाण सेवाओं के लिए ग्राहकों से भुगतान ले रहे थे।

यह भी देखा गया कि फर्जी वेबसाइट को एक पेमेंट गेटवे के साथ भी जोड़ा गया था और जीवन प्रमाण सेवाओं के लिए ग्राहकों से पैसे स्वीकार कर रहे थे। आरोपी पेंशनरों से 199 रुपये वसूल रहे थे। पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अपने पूरे विवरण के साथ एक फॉर्म भरने के लिए कहा गया था।

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स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने इस संबंध में आईपीसी की धारा 419 (प्रतिरूपण), 420 (धोखाधड़ी) और आयकर अधिनियम की धारा 66-डी के तहत एफआईआर दर्ज की है। डीसीपी ने कहा, आरोपी को पकड़ने के लिए पुलिस टीम ने वेबसाइट रजिस्ट्रार, बैंकों से कथित वेबसाइट की तकनीकी जानकारी, बैंक और कॉल डिटेल जुटाई। इस सूचना की और छानबीन की गई और टीम ने तकनीकी जांच के आधार पर उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना में छापेमारी कर आरोपी व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। अधिकारी ने कहा कि कानव अमित के संपर्क में आया और उन्होंने एक फर्जी वेबसाइट बनाने के बाद इस घोटाले की शुरूआत की।

अधिकारी ने कहा, कानव को पहले भी इसी तरह के एक फर्जी वेबसाइट बनाने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उसे 50 फीसदी रकम मिलती थी, जबकि अमित पहले स्टॉक मार्केट एनालिस्ट के रूप में काम करता था। उसे 35 फीसदी रकम मिलती थी। बिनॉय सरकार ने अमित को सह-आरोपी शंकर का बैंक डिटेल दी थी और उसे 5 प्रतिशत राशि मिलती थी जबकि शंकर को 10 प्रतिशत राशि मिलती थी।

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