Thursday, December 26, 2024
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कोलकाता हाईकोर्ट के कुख्यात ‘कमरा नम्बर 11’ का खुलेगा राज, पैरानाॅर्मल हलचलों का पता लगाएगी टीम

कोलकाता: घोस्टबस्टर्स की एक स्वयंभू टीम डिटेक्टिव्स ऑफ सुपरनैचुरल (डीओएस) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के अधिकारियों से अलौकिक और असामान्य गतिविधियों से संबंधित कई अफवाहों और कहानियों की जांच के लिए अदालत परिसर के भीतर और शहर के मध्य में स्थित प्रतिष्ठित इमारत के कुछ कमरों में एक रात बिताने की अनुमति मांगी है। डीओएस के संस्थापक देवराज सान्याल ने बताया कि उनकी टीम ने लगभग दो महीने पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल उदय कुमार के कार्यालय में इस मामले में अपील की थी।

सान्याल ने कहा, “हमें बताया गया है कि अदालत के अधिकारियों को इस मामले में फैसला लेने में तीन से चार महीने लगेंगे। वह समय सीमा अभी खत्म नहीं हुई है।” अपने सोशल मीडिया हैंडल के अनुसार, डिटेक्टिव्स ऑफ सुपरनैचुरल भूतों, प्रेतवाधित स्थानों, काला जादू, परामनोविज्ञान, एलियंस, यूएफओ, फसल चक्र और अज्ञात प्राणियों से संबंधित मामलों की जांच करता है। सान्याल ने कहा कि उन्होंने वकीलों और अदालत के क्लर्को के एक वर्ग के अनुरोध के बाद उच्च न्यायालय भवन के कुछ कमरों में कुछ अपसामान्य गतिविधियों की जांच करने का अनुरोध किया, खासकर रात 8 बजे के बाद।

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11 नम्बर कमरे में रात बिताने की मांगी अनुमति-

सान्याल ने कहा, “खास तौर पर कुख्यात कमरा नम्बर 11 है और इसलिए हमने उस कमरे में एक रात बिताने की अनुमति मांगी है।” उच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने डीओएस की पहल का स्वागत करते हुए कहा, “लंबे समय से, कलकत्ता उच्च न्यायालय परिसर के भीतर अपसामान्य गतिविधियों से संबंधित कई अफवाहें और कहानियां चल रही हैं। इसलिए, मुझे खुशी होगी। अगर डीओएस वैज्ञानिक रूप से यह साबित कर सकता है कि ये बाहरी कारकों के प्रभाव के अलावा और कुछ नहीं हैं।” सान्याल ने दावा किया कि उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों के साथ पहले भी कई प्रेतवाधित घरों में रातें बिताई हैं। सान्याल ने कहा कि वे खुले दिमाग से इन जगहों पर जाते हैं।

कंपास-मोशन सेंसर से करते हैं जांच-

असामान्य गतिविधियों की जांच के लिए डीओएस वैज्ञानिक उपकरणों का इस्तेमाल करता है। देवराज सान्याल ने कहा, “हम पूर्वकल्पित धारणा के साथ कार्य नहीं करते हैं कि शारीरिक मृत्यु के बाद चेतना का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता है। एक बंद दिमाग कभी भी सच्चाई को प्रकट नहीं कर सकता है। हम बाहरी मतिभ्रम, उपद्रव करने वालों या यहां तक कि बिल्लियों व चूहों की शरारती गतिविधियों को पहचानने के लिए कंपास या मोशन सेंसर का इस्तेमाल करते हैं, जिनसे किसी घर में असामान्य माहौल बन जाता है। 99 प्रतिशत मामलों में, हम इन बाहरी कारकों का पता लगाने में सक्षम हैं जो इसके लिए जिम्मेदार थे।”

उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर रहने वाले लोग जहां विद्युत-चुंबकीय क्षेत्र अत्यधिक सक्रिय होते हैं, अक्सर मतिभ्रम के शिकार हो जाते हैं। उन्होंने कहा, “कई बार अवचेतन मन भी उस मतिभ्रम कारक में जुड़ जाता है।” सान्याल इस मिशन को पूरी तरह से अपनी उत्सुकता से ही चलाते हैं और अन्यथा अपने पारिवारिक व्यवसाय में लगे रहते हैं।

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