पटनाः बिहार के भागलपुर जिले में एक गांव ऐसा भी है जहां दीपावली के बाद सैकड़ों मवेशियों की मौत खुद ब खुद हो जाती है। इस गांव के पशुपालकों को लाखों का नुकसान सहना पड़ता है। मामला जिले के कोइली खुटहा गांव का है। यहां हर वर्ष दीपावली के बाद अचानक से पशु की मृत्यु तेजी से होने लगती है। ऐसी घटना इस गांव में तकरीबन 12 वर्षों से लगातार होती आ रही है लेकिन इसकी सूचना प्रशासन को अभी तक नहीं है। जब पशुपालक पशुओं की चिकित्सा के लिए डॉक्टर को बुलाते हैं तो डॉक्टर भी कुछ साफ-साफ नहीं कह पाते। गांव वालों का कहना है कि पशुओं को सर्रा बीमारी पकड़ लेता है। जिससे उसकी तुरंत ही मृत्यु हो जाती है।
हाल के दिनों की बात करें तो दीपावली पर्व समाप्त हुए कुछ ही दिन बीते हैं और कोईली खुटहा गांव में एक के बाद एक करके काफी संख्या में पशु मर गए। अभी तक में इस साल आंकड़े के हिसाब से 200 से ज्यादा पशु की मृत्यु हो चुकी है। ऐसा देखा जाता है कि जब मौसम बदलने लगता है तो यह सर्रा रोग तेजी से पशुओं में पनपने लगता है। दर्जनों गांव में पालतू पशुओं को सर्रा रोग अपनी चपेट में ले लेता है। इससे पशुपालक परेशान हो जाते हैं। यूं तो सर्रा रोग हर सीजन में होता है और यह सबसे अधिक भैंसों को अपनी चपेट में लेता है लेकिन बदल रहे मौसम में सर्रा रोग तेजी से फैल रहा है। इससे पशुपालकों को सजग सचेत और सतर्क होना चाहिए और इसकी जानकारी प्रशासन को भी देनी चाहिए। जिससे प्रशासन इसे संज्ञान ले और इस पर ठोस कदम उठाकर उचित व्यवस्था करें।
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पशु चिकित्सक ने बताया कि सर्रा रोग पशुओं में डास और टेवेनस मक्खी के काटने से होता है। यह मक्खी एक रक्त परजीवी मक्खी है। यह एक पशु से दूसरे पशुओं में रोग को फैलाता है। उन्होंने बताया कि यह रोग पालतू पशुओं में ज्यादा पाया जाता है। जैसे गाय, भैंस, घोड़ा, भेड़, बकरी, कुत्ता, ऊंट और हाथी में इसका लक्षण देखा जाता है। यह रोग सबसे अधिक भैंस को प्रभावित करता है। अनुमान लगाया जा रहा है कि कोईली खुटहा गांव में डास और टेवेनस मक्खी का प्रकोप बहुत ज्यादा है। जिसके चलते पूरे गांव के पशु एक-एक कर मर जाते हैं। जिससे पशुपालकों को लाखों लाखों रुपए की क्षति होती है।
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