लखनऊः बीते दिनों जोरदार बारिश के कारण किसान भले ही परेशान रहे, लेकिन किचन गार्डनिंग करने वालों पर इसका ज्यादा प्रभाव नही पड़ा। फुलवारी और किचन गार्डनिंग करने वालों ने वास्तु केे अनुसार दशहरा के मौके पर खास पौधे लगाए। शहर में इस दिन कई पौधों को जमकर खरीददारी की गई।
शहर में बीते दिनों खूब बारिश हुई। खेतों में अभी भी पानी भरा है, लेकिन किचन के लिए नन्हीं सी क्यारी तैयार करने वालों ने पिछले साल की तरह ही दशहरा के दिन कई पौधे लगाए। फुलवारी पसंद करने वालों ने भी वास्तु के अनुसार तुलसी और शमी का पौधा लगाया। लखनऊ की नर्सरियों से यह दोनों पौधे खूब खरीदे गए। माना जाता है कि शमी का पौधा दशहरा के दिन लगाने से ज्यादा शुभ होता है। तुलसी का पौधा भी इस दिन लगाया जाता है। कारण है कि दशहरा के दिन श्रीराम की विजय का दिन है, इसलिए इस दिन तुलसी का पौधा रोपा जाता है। प्रति वर्ष तमाम लोग शमी का पौधा लगाते आए हैं। आलमबाग क्षेत्र की विराट नर्सरी, गोमतीनगर की मैक्सिमम नर्सरी, भोला नर्सरी, सांई नर्सरी में शमी के पौधे खूब बिके। नर्सरी संचालकों ने शमी और तुलसी के पौधों की संख्या पहले से ही बढ़ा रखी थी। हर साल इस दिन इन दोनों पौधों की मांग बढ़ जाती है। हालंांकि, विक्रेताओं का कहना है कि यदि बारिश न होती, तो इन पौधों की ज्यादा खरीददारी होती।
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कुछ खास मान्यताएं –
ऐसी मान्यता है कि शमी के पौधे को घर के अंदर न लगाकर गार्डन या छत पर लगाया जाता है। इस पौधे को घर के मुख्य द्वार पर भी लगाया जा सकता है। यह पौधा घर से निकलते वक्त दाएं हाथ की तरफ पड़े, जो ज्यादा अच्छा है। यदि घर की छत पर रखें, तो वह दक्षिण दिशा में रहे। शमी का पौधा हमेशा साफ-सुथरी जगह पर लगाएं, जहां नाली और कूड़ा-कचरा न हो। इस पर रोज दीपक जलाने व जल अर्पित करने की परम्परा है। दूसरी ओर तुलसी के पत्तों को गंगाजल के साथ मृत व्यक्ति के मुंह में रखने से स्वर्ग की प्राप्ति होती है। ऐसी हिंदू धर्म में मान्यताएं हैं। हर रोज तुलसी के पौधे में जल डालने और नियमित रूप से पूजा करने से आपके सभी पाप मिट जाते हैं। कभी भी अपवित्र हाथों, रविवार, चंद्रग्रहण या एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए। रोजाना सुबह उठकर तुलसी की पूजा करने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है।