लखनऊः इन दिनों अपने घर के छत और बालकनी में लोग खूब पौधे लगा रहे हैं। एक क्यारी की भी अगर जगह है, तो लोग इसमें हरियाली को जरूर स्थान देना चाहते हैं। जो लोेग ऐसा कर रहे हैं, वह चाहते हैं कि शहर के लोग ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं। पुराने लखनऊ को यदि छोड़ दिया जाए, तो नई विकसित काॅलोनियों में अब हर घर तक पौधों की पहुंच बढ़ रही है। किसी खाली जगह पर मनपसंद सब्जियां उगाने वालों की कमी नहीं है।
गोमतीनगर, निरालानगर, इंदिरानगर में छतों पर लोग तरोई और लौकी के बीज बोने लगे हैं। फूलों के पौधे तो बालकनी में भरे पड़े हैं। सब्जी उगाने के लिए छत और बालकनी में जगह आसानी से बन जाती है। जिस घर में 15-25 गमले रखे जा सकते हैं, वहां आसानी से सब्जी के एक-एक पौधे को स्थान दिया जा सकता है। इसमें तरोई, लौकी, सेम क्रीपर के रूप में जबकि टमाटर, शिमला मिर्च और बैंगन के दो पौधे एक गमले में लगाए जा सकते हैं। कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने बड़े गमले मंे इनको स्थान दिया है। ज्यादा जगह मिलने पर यह पौधे बड़े हो जाते हैं और अच्छे फल देते हैं।
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तमाम ऐसे लोग हैं, जो गमले का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं तो वह थोक में प्लास्टिक की बाल्टियांे को गमले के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। टमाटर, शिमला मिर्च और बैंगन के लिए मध्यम आकार के गमलों का उपयोग कर सकते है, लेकिन बेल वाली सब्जियों के लिए बड़े गमले की आवश्यकता होती है। इसमें 15 किलो मिट्टी को जगह की जरूरत होती है। गमला बनाते समय बर्तन में नीचे छेद जरूर करें ताकि इसमें जमा पानी आसानी से निकल सके।
देते रहें पोषक तत्व –
गमले में लगाए गए पौधों को पोषक तत्वों की ज्यादा जरूरत होती है, क्योंकि जमीन पर बोए गए पौधों को ज्यादा भूमि मिलने से उनको काफी पोषक तत्व मिल जाते हैं। ऐसे में पौधों को भरपूर मात्रा में धूप मिले, यह सुनिश्चित करें और हर 15-20 दिन में थोड़ी खाद डालते रहें।
छत पर सब्जी उगाने के फायदे –
छत पर सब्जी उगाने से बहुत से फायदे हैं। पहला तो यह कि हरी सब्जी किसी भी समय आपको खाने को मिल जाती है। दूसरा यह कि केमिकल से मुक्त ताजी सब्जी के लिए मंडी की दौड़ नहीं लगानी पड़ती। तीसरा फायदा यह होता है कि घर का वातावरण शुद्ध बना रहता है।
- शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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