न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत ने चीन को आतंकियों के खिलाफ दोहरा रवैया अपनाने पर घेरा है। परिषद की बैठक में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने अपने भाषण में सख्त लहजे में कहा कि आतंकियों के खिलाफ दोहरा रवैया खतरनाक है। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद को हराने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। आतंकियों का महिमामंडन नहीं होना चाहिए। भारत की यह कड़ी प्रतिक्रिया इसी साल जून में चीन ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकवादी अब्दुल रहमान मक्की को अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी के रूप में नामित करने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव पर रोक लगाने के बाद आई है। उस समय भी भारत ने चीन के इस हरकत को लेकर काफी नाराजगी जताई थी।
यूएनएससी में अपने संबोधन के शुरुआत में रुचिरा कंबोज ने कहा कि आतंकवाद से सिर्फ भारत को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा को खतरा है। इस कारण इस वैश्विक चुनौती के प्रति हमारी प्रतिक्रिया एकीकृत, समन्वित और सबसे महत्वपूर्ण रूप से प्रभावी होनी चाहिए।
भारत ने अफगानिस्तान का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारा निकटतम पड़ोस भी हाल ही में आतंकवादी घटनाओं की बाढ़ का गवाह रहा है। काबुल में 18 जून को सिख गुरुद्वारे पर हुए हालिया हमले और 27 जुलाई को उसी गुरुद्वारा के पास एक और बम विस्फोट सहित अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं बेहद खतरनाक है।
भारत ने कहा कि इस्लामिक स्टेट खुरसान अफगानिस्तान में अपने बेस से अन्य देसों पर भी आतंकवादी हमले की धमकी देना जारी रखे हुए है। यूएनएससी में अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के तौर पर लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद के बीच संबंध शांति और स्थिरता के लिए खतरा हैं। ये आतंकी समूह लगातार भड़काऊ बयान दे रहे हैं। भारत ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि इस तरह के प्रतिबंधित आतंकवादियों, संस्थाओं या उनके छद्म समूहों को कोई मौन या प्रत्यक्ष रूप से समर्थन न प्राप्त हो।
भारत ने हैरानी जताते हुए कहा कि यूएनएससी की रिपोर्ट में इस क्षेत्र में कई प्रतिबंधित समूहों की गतिविधियों पर ध्यान नहीं देने का फैसला किया गया है। ये समूह विशेष तौर पर बार-बार भारत को निशाना बना रहे हैं। सदस्य देशों से मिलने वाले इनपुट को टॉरगेट कर फिल्टर करने की कोई जरूरत नहीं है। भारत ने कहा कि रिपोर्ट इस तथ्य को भी रेखांकित करती है कि आईएसआईएल और अल कायदा से जुड़े आतंकवादी समूह अफ्रीका में ताकत हासिल कर रहे हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का पूरा ध्यान इस बात पर है कि इस खतरे को अलग-थलग न देखा जाए।
भारत ने कहा कि सबसे अधिक खेद की बात यह है कि दुनिया के कुछ सबसे कुख्यात आतंकवादियों से संबंधित वास्तविक और भारत के साक्ष्य-आधारित लिस्टिंग प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। दोहरे मानकों और निरंतर राजनीतिकरण ने प्रतिबंध व्यवस्था की विश्वसनीयता को खतरा पैदा हो गया है। भारत ने कहा कि यूएनएससी 1267 प्रतिबंध समिति के तहत सूचीबद्ध होने के बावजूद आतंकवाद में शामिल होने वाले अपराध सिंडिकेट को हमारे पड़ोसी देश में तुरंत राजकीय अतिथि का दर्जा दिया गया।