Friday, December 27, 2024
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विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनीं मार्गरेट अल्वा, शरद पवार ने किया ऐलान

नई दिल्लीः कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा को रविवार को विपक्ष की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। अल्वा कर्नाटक की निवासी हैं। वह उत्तराखंड और राजस्थान की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। एनसीपी सुप्रीमो के शरद पवार आवास पर विपक्षी दलों की बैठक के बाद उनका नाम तय किया गया।

शरद पवार ने प्रेस वार्ता में बताया कि गैर भाजपाई राजनीतिक दलों ने सर्वसम्मति से उपराष्ट्रपति पद के लिए मार्ग्रेट अल्वा का नाम उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर तय किया है। 17 राजनीतिक दलों ने अल्वा का सीधा समर्थन किया है। इसमें कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आरजेडी, शिवसेना, टीआरएस, आरएसपी और वाम दल प्रमुख हैं। पवार ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस नेत्री ममता बनर्जी से भी समर्थन के लिए संपर्क साधा था लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो पाईं। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी संपर्क साधा गया है और उम्मीद है कि जल्द ही उनकी आम आदमी पार्टी विपक्ष के नेता को समर्थन की घोषणा करेगी। पवार ने बताया कि विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर मार्ग्रेट अल्वा 19 जुलाई मंगलवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगी। एनडीए ने इस पद के लिए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को मैदान में उतारा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शनिवार शाम पार्टी मुख्यालय में संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद धनखड़ के नाम की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव होगा जिसमें मार्गरेट अल्वा का मुकाबला एनडीए के प्रत्याशी जगदीप धनखड़ से होगा।

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कौन हैं मार्गरेट अल्वा
मार्गरेट अल्वा का जन्म 14 अप्रैल 1942 को मंगलुरु में हुआ था। बंगलुरू में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। 24 मई 1964 में उनका विवाह निरंजन अल्वा से हुआ। उनकी एक बेटी और तीन बेटे हैं। मार्गरेट अल्वा के पति निरंजन अल्वा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संसद की पहली जोड़ी जोकिम अल्वा और वायलेट अल्वा के पुत्र हैं। अल्वा 1974 में पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं। उन्होंने छह-छह साल के चार कार्यकाल लगातार पूरे किए। इसके बाद श्रीमती अल्वा 1999 में लोकसभा के लिए चुनी गईं। उन्हें 1984 में संसदीय कार्य राज्यमंत्री और बाद में युवा और खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी की जिम्मेदारी भी संभाली। 1991 में उन्हें कार्मिक, पेंशन, जन अभाव अभियोग और प्रशासनिक सुधार राज्यमंत्री का भी पदभार संभाला।

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