Friday, December 27, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeउत्तर प्रदेशBulldozer Case: यूपी में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर आज होगी 'सुप्रीम'...

Bulldozer Case: यूपी में बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर आज होगी ‘सुप्रीम’ सुनवाई

bulldozer

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट आज (बुधवार) उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करेगा। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। 29 जून को सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जमीयत ने कल जवाब दाखिल किया है। उसमें कुछ नए मामलों के बारे में कहा गया है जो मुख्य याचिका का हिस्सा नहीं थे। ऐसे में उन्हें उन पर जवाब के लिए समय मिलना चाहिए। उसके बाद कोर्ट ने 13 जुलाई तक के लिए सुनवाई टालने का आदेश दिया था।

ये भी पढ़ें..MP में दर्दनाक हादसा : स्कॉर्पियो सवार परिवार बाढ़ में बहा, तीन के शव बरामद, 3 अब भी लापता

जमीयत-उलेमा-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर कहा है कि इसे रूटीन कार्रवाई बताना गलत है। जमीयत ने कहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री खुद सबक सिखाने के लिए बुलडोजर कार्रवाई का बयान देते हैं । जमीयत ने कहा है कि प्रयागराज में तोड़ा गया मकान जावेद की पत्नी के नाम था । सहारनपुर में बिना नोटिस के मकान तोड़ा गया, क्योंकि उसके किराएदार के बेटे पर दंगे का आरोप था। इस मामले में यूपी सरकार ने हलफनामा दाखिल कर जमीयत पर मामले को गलत रंग देने का आरोप लगाया है। यूपी सरकार ने कहा है कि जिन पर कार्रवाई हुई उन्हें तोड़ने का आदेश कई महीने पहले जारी हुआ था। खुद हटा लेने के लिए काफी समय दिया गया था। बुलडोजर की कार्रवाई से दंगे का कोई संबंध नहीं। उसका मुकदमा अलग है।

बुलडोजर

कोर्ट ने 16 जून को जारी क्या था नोटिस

इससे पहले 16 जून को कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अवैध निर्माण हटाने में पूरी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा हिंद की ओर से वकील सीयू सिंह ने कहा था कि दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दिया था। इस मामले में यूपी सरकार को नोटिस दिया गया था लेकिन यूपी में अंतरिम आदेश के अभाव में तोड़फोड़ की गई।

सीयू सिंह ने कहा था कि ये मामला दुर्भावना का है। जिनका नाम एफआईआर में दर्ज है उनकी संपत्तियों को चुन-चुनकर ध्वस्त किया गया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम की धारा 27 में देश भर में शहरी नियोजन अधिनियमों के अनुरूप नोटिस देने का प्रावधान है। अवैध निर्माण को हटाने के लिए कम से कम 15 दिन का समय देना होगा, 40 दिन तक कार्रवाई नहीं होने पर ही ध्वस्त किया जा सकता है। पीड़ित नगरपालिका के अध्यक्ष के समक्ष अपील कर सकते हैं। और भी संवैधानिक उपाय हैं।

यूपी सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया था कि प्रयागराज और कानपुर में अवैध निर्माण गिराने के पहले नोटिस नहीं दिया गया। राज्य सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि सभी प्रक्रिया का पालन किया गया है। उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हमने जहांगीरपुरी में पहले के आदेश के बाद हलफनामा दायर किया है। किसी भी प्रभावित पक्ष ने याचिका दायर नहीं किया है। जमीयत उलेमा ए हिंद ने याचिका दायर किया है जो प्रभावित पक्ष नहीं है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें