Tuesday, November 19, 2024
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सरकार द्वारा सर्विस चार्ज को अवैध करार देने की मीडिया रिपोर्ट गलत: NRAI

नई दिल्लीः नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) ने रेस्टोरेंट के ग्राहकों से वसूले जाने वाले सर्विस चार्ज को सरकार द्वारा अवैध करार दिये जाने की मीडिया रिपोर्ट को शुक्रवार को खारिज करते हुए कहा कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं आता है, तब तक सर्विस चार्ज लेना वैध ही रहेगा। एनआरएआई ने विज्ञप्ति में कहा है,” गुरुवार को उपभोक्ता मामलों के विभाग की बैठक में सर्विस चार्ज की वैधता के संबंध में निर्णय लिये जाने के बारे में आई मीडिया रिपोर्टे गलत हैं।”

एसोसिएशन ने कहा ,”विभाग ने सभी हितधारकों के पक्ष को सुना और वह इस मामले में निर्णय लेने से पहले सभी पहलुओं पर गौर करेगा। जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता है, तब तक सर्विस चार्ज लेना वैध है।” बैठक में उपभोक्ताओं ने विभाग के राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर सर्विस चार्ज से संबंधित कई शिकायतें दर्ज कराई थीं। उसमें से मुख्य शिकायतें ग्राहक की मर्जी के बगैर सर्विस चार्ज वसूलने, यह जानकारी छ़ुपाने की कि ग्राहकों के लिए यह चार्ज देना वैकल्पिक और उनकी रजामंदी पर निर्भर है और सर्विस चार्ज देने से आनाकानी करने पर ग्राहकों को शर्मिदा करने से संबंधित थी।

उपभोक्ता संगठनों का कहना था कि सर्विस चार्ज वसूलना पूरी तरह रेस्टोरेंट की मनमानी है और यह उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत प्रतिबंधित व्यापारिक पद्धति है। दूसरी तरफ एनआरएआई ने गुरुवार को बैठक में अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि ग्राहकों से सर्विस चार्ज लेना रेस्टोरेंट्स की निजी पॉलिसी का मामला है और इसे वसूलना कहीं से भी अवैध नहीं है।

एसोसिएशन ने कहा कि उसने सरकार को इस संबंध में पूरे सबूत दिये हैं कि सर्विस चार्ज लेना न ही अवैध है और न ही गलत व्यापार नीति है। एसोसिएशन का कहना है कि सर्विस चार्ज पूरी तरह पारदर्शी होता है और सरकार को भी इससे राजस्व की प्राप्ति होती है।

एनआरएआई का कहना है कि रेस्टोरेंट अपने मेन्यू कार्ड में या परिसर में लगे बोर्ड पर सर्विस चार्ज के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। ऐसे में अगर ग्राहक उसके बावजूद भी कुछ ऑर्डर करते हैं तो इसका मतलब है कि वे सर्विस लेने से पहले ही सर्विस चार्ज वसूले जाने के बारे में जानते थे। एनआरएआई ने तर्क दिया कि अगर सर्विस चार्ज लिये जाने की जानकारी होने के बावजूद भी ग्राहक ऑर्डर दे रहे हैं तो यह दो पक्षों के बीच हुए समझौते की बात हो जाती है और यह अवैध नहीं है।

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