Friday, December 20, 2024
spot_img
spot_img
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeदेशहिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने की मांग पर टली सुनवाई, कोर्ट ने...

हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने की मांग पर टली सुनवाई, कोर्ट ने दिया 3 महीने का समय

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 10 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक दर्जा देने की मांग करने वाली याचिका पर मंगलवार को सुनवाई 30 अगस्त तक के लिए टाल दी। केंद्र ने राज्यों से चर्चा करने के लिए समय मांगा था। कोर्ट ने तीन महीने का समय दिया है।

केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्य अपने यहां किसी समुदाय या भाषा को अल्पसंख्यक का दर्जा दे सकते हैं। हलफनामे में कहा गया है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन पूरी तरह संवैधानिक है। अल्पसंख्यक कल्याण संविधान की समवर्ती सूची का विषय है । इस पर राज्य भी कानून बना सकते हैं। ऐसा नहीं है कि संसद से बना कानून किसी राज्य को अपनी सीमा में किसी समुदाय या भाषा को अल्पसंख्यक का दर्जा देने से रोकता है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में महाराष्ट्र और कर्नाटक का उदाहरण देते हुए कहा है कि महाराष्ट्र ने यहूदी समुदाय को अपने राज्य में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया है। उसी तरह कर्नाटक ने उर्दू, तेलुगु, तमिल, मलयालम, हिंदी, लामनी, कोंकणी और गुजराती को अल्पसंख्यक भाषाओं का दर्जा दिया है। हलफनामा में अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर याचिका को खारिज करने की मांग की गई है।

31 जनवरी को याचिका पर केंद्र का जवाब न आने पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार पर साढ़े सात हजार रुपये का जुर्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त, 2020 को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि हिंदू 10 राज्यों में अल्पसंख्यक हैं लेकिन उन्हें अब तक अल्पसंख्यक घोषित नहीं किया गया है। याचिका में आबादी के हिसाब से राज्यवार अल्पसंख्यकों की पहचान करने की मांग की गई है।

यह भी पढ़ेंः-इंग्लैंड दौरे से पहले न्यूजीलैंड को बड़ा झटका, ये दिग्गज खिलाड़ी…

याचिका में कहा गया है कि कई राज्यों में हिन्दू, बहाई और यहूदी वास्तविक अल्पसंख्यक हैं लेकिन उन्हें वहां अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त न होने के कारण अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान खोलने और चलाने का अधिकार नहीं है। याचिका में अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान कानून के लिए राष्ट्रीय आयोग कानून 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को भी चुनौती दी गई है।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक औरट्विटरपर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)

सम्बंधित खबरें
- Advertisment -spot_imgspot_img

सम्बंधित खबरें