लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वस्त्र उद्योग की सूरत बदलने की ठान ली है। अगले पांच वर्षों में इसे परवान चढ़ाने को न सिर्फ 7500 करोड़ का निवेश कर 5 लाख रोजगार सृजित करेगी बल्कि यूपी को वस्त्र उद्योग का ग्लोबल टेक्सटाइल हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। यह प्रयास पीएम मित्र योजना के तहत शुरू होगी। वैश्विक स्तर के टेक्सटाइल पार्क के लिए योगी सरकार 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के मूड में है। इतना ही नहीं नोएडा में तीन हजार करोड़ खर्च कर अपैरल पार्क बनाने की योजना भी है और अगले दो महीने में निवेश फ्ऱेंडली नई टेक्सटाइल पॉलिसी को लाने की कवायद भी चल रही है। इन्वेस्ट इंडिया की रिपोर्ट (जुलाई-2020) के मुताबिक इस सेक्टर में प्रति एक करोड़ के निवेश पर औसतन 70 लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद रहती है।
प्रदेश के 34 जिले हथकरघा बाहुल्य
भाजपा ने अपने लोककल्याण संकल्प पत्र-2022 में हर परिवार एक रोजगार का लक्ष्य रखा है। संकल्प पत्र में उत्तर प्रदेश को देश का ‘टेक्सटाइल हब’ बनाने के प्रति प्रतिबद्धता भी जताई गई है। इसीलिए हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग ने पांच साल में पांच लाख रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए 7500 करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। सीएम की मंशा के अनुसार उत्तर प्रदेश को देश का टेक्सटाइल हब बनने की संभावना दिख रही है। देश की सबसे अधिक आबादी वाले यूपी में तैयार माल के लिए बाजार और मानव संसाधन की कमी नहीं है। वस्त्र उद्योग की बेहद संपन्न परंपरा भी है। लिहाजा, कुशल श्रमिकों की कोई कमीं नहीं है। समय के अनुसार प्रशिक्षण देकर इन श्रमिकों के हुनर निखारने की जरूरत भर है।
वाराणसी की रेशमी साड़ियां, भदोही की हाथ से बनी कालीन, लखनऊ की चिकनकारी, बरेली की जरी जरदोजी, नोएडा के रेडीमेड गारमेंट्स की देश-दुनिया में अपनी पहचान है। इतना ही नहीं, प्रदेश के 34 जिले हथकरघा बाहुल्य हैं। हथकरघों, हथकरघा बुनकरों और बुनकर सहकारी समितियों की संख्या क्रमश: 1.91 लाख, 0.80 लाख और 20 हजार 421 है। इधर, मऊ, अम्बेडकर नगर, वाराणसी, मेरठ, कानपुर, झांसी, इटावा, संतकबीरनगर आदि पॉवरलूम बहुल जिलों में बुनकरों एवं पॉवरलूमों की संख्या क्रमश: 2.58 और 5.50 लाख है। ये आंकड़े ही यहां के उत्पाद की सम्पन्न परंपरा के सबूत हैं।
2026 तक उत्पादन शुरू कराने का लक्ष्य
यूपी सरकार इस क्षेत्र में निर्यात बढ़ाने और निवेश आकर्षित करने को जून 2022 तक एक्सपर्ट्स से सलाह मशविरा करके नई पॉलिसी लाएगी। सोलर एनर्जी से पावरलूम संचलन के लिए भी नई पॉलिसी लाई जाएगी। देश-दुनिया में पहचान बना चुके रेडीमेड गारमेंट्स के उत्पादन को संगठित रूप देने को सरकार वहां अपैरल पार्क बनाएगी। इस पार्क में रेडीमेड गारमेंट्स की लगभग 115 निर्यात योग्य इकाइयां स्थापित होंगी। तीन हजार करोड़ के निवेश की संभावना जताई जा रही है। जून में इस बाबत प्रक्रिया शुरू होगी। जुलाई में शिलान्यास करवाने का प्रयास है। सितंबर 2025 तक व्यावसायिक उत्पादन का लक्ष्य भी है। इसके अलावा सरकार पीपीपी मॉडल पर पांच टेक्सटाइल एंड अपैरल पार्क बनाने की भी है। इसके लिए अगले साल सितंबर तक जमीन चिन्हित कर टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 2026 तक इनमें उत्पादन शुरू कराने का है।
500 करोड़ की लागत से हर ब्लॉक में विकसित होंगे क्लस्टर
इस उद्योग को संगठित रूप देने के लिए जिन शहरों या उनके आसपास रेडीमेड गारमेंट्स की परंपरा रही है, उनमें फ्लैटेड फैक्ट्री बनाने की योजना है। पहले चरण में कानपुर नगर, गोरखपुर और आगरा को चुना गया है। क्लस्टर अप्रोच की संभावनाओं के मद्देनजर ही सभी एक्सप्रेसवे के किनारे बनने वाले औद्योगिक गलियारों में क्षेत्रीय परंपरा के अनुसार टेक्सटाइल उद्योग की स्थापना किया जाना संभव है। भविष्य में राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम एवं एमएसई सीडीपी योजना के तहत 500 करोड़ रुपए की लागत से हर ब्लॉक में ऐसे क्लस्टर विकसित किये जाएंगे। पीएम मित्र योजना के तहत 10 हजार करोड़ रुपए की लागत से वैश्विक स्तर का टेक्सटाइल पार्क बनाने की योजना है।
नई पॉलिसी, बेहतरीन आधारभूत संरचना, बुनकरों के कौशल विकास और क्लस्टर अप्रोच के जरिए यूपी को ग्लोबल टेक्सटाइल हब बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे। सरकार, ब्रांड यूपी के लिए तैयार माल के मार्केंटिंग पर भी जोर देगी। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के फ्लिपकार्ट, अमेजन के साथ एमओयू होगा। बुनकरों को अपने उत्पादों को ऑनबोर्ड करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
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