नई दिल्लीः रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुए आपूर्ति संकट से ईंधन के दामों में आयी तेजी का असर देश के थोक मूल्य सूचकांक पर दिखा और मार्च में थोक महंगाई दर चार माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी मार्च के थोक मूल्य सूचकांक के मुताबिक, गत माह थोक महंगाई 14.55 प्रतिशत पर पहुंच गयी जबकि फरवरी में यह आंकड़ा 13.11 प्रतिशत तथा मार्च 2021 में 7.89 प्रतिशत रहा था। यह लगातार 12वां महीना है जब थोक महंगाई दहाई अंकों में बढ़ी है।
मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, साल दर साल आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में शामिल प्राथमिक वस्तुओं के समूह में 8.71 प्रतिशत, ईंधन एवं बिजली में 23.52 प्रतिशत, विनिर्मित उत्पादों में 10.71 प्रतिशत तथा खाद्य सूचकांक में 8.71 प्रतिशत की तेजी रही।
फरवरी की तुलना में मार्च में थोक महंगाई में 2.69 प्रतिशत की तेजी देखी गयी। माह दर माह आधार पर प्राथमिक वस्तुओं में गत माह की तुलना में मार्च 2022 में 2.10 प्रतिशत, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस में 21.18 प्रतिशत, खनिज में 9.72 प्रतिशत, ईंधन एवं बिजली में 5.68 प्रतिशत, एलपीजी में 5.22 प्रतिशत, पेट्रोल में 6.40 प्रतिशत और विनिर्मित उत्पादों में 2.31 प्रतिशत की तेजी देखी गयी।
फरवरी की तुलना में गत माह खाद्य वस्तुओं के सूचकांक में 0.82 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी। इस दौरान तिलहन और दालों के दाम घटे जबकि गेहूं, अनाज, फल, दूध, अंडा, मांस और मछली के दाम बढ़े। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कमोडिटी के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक में तेजी आयी है।
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एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि कच्चे तेल के दाम में तेजी से कमोडिटी के दाम बढ़ रहे हैं, जिसका असर थोक मूल्य और खुदरा मूल्य सूचकांक दोनों पर दिख रहा है। गौरतलब है कि 12 अप्रैल को जारी खुदरा मूल्य सूचकांक के आंकडों के मुताबिक मार्च में खुदरा महंगाई 17 माह के उच्चतम स्तर 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
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