लखनऊः यूपी में नई सरकार बन चुकी है और मंत्रियों को विभागों का बंटवारा भी हो चुका है। काम-काज संभालते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ कई कैबिनेट मंत्री एक्शन में आ चुके हैं, ऐसे में इन दिनों अधिकारियों की सांसें फूल रही हैं। पूर्व में कई मंत्रियों की अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं हुए थे और अब उनका ओहदा भी बढ़ गया है या फिर नए मंत्री आ गए हैं, तो जिम्मेदारों की जुबान हलक में अटकी हुई है।
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दरअसल, नई सरकार बनने के बाद इन दिनों लखनऊ नगर निगम और अमृत योजना के कई बड़े अधिकारी कामों को पूरा करने के लिए शहर के पार्कों के चक्कर काट रहे हैं। पिछली सरकार में कानून मंत्री रहे ब्रजेश पाठक इस बार उपमुख्यमंत्री बन गए हैं और उनको स्वास्थ्य मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी भी मिल गई हैं। ऐसे में अधिकारियों को डर है कि पूर्व में पाठक जी ने जो काम सौंपे थे, यदि वह जल्द पूरे नहीं किए गए तो कार्रवाई तय है। बृजेश पाठक पहले केवल मंत्री थे, अब उनको बड़ी जिम्मेदारी देकर सरकार ने भरोसा जताया है। पूर्व में नवंबर, दिसंबर और जनवरी के दौरान लखनऊ शहर के कई पार्क सजाए गए थे।
पूर्व की सरकार में नगर विकास विभाग आशुतोष टंडन के पास था, उन्होंने गोमतीनगर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि यहां के पार्क राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात हों। 04 दिसंबर 2021 को गोमतीनगर स्थित राजीव गांधी प्रथम वार्ड विजय खंड के उपमन्यु वाटिका के विकास एवं सौंदर्यीकरण का लोकार्पण किया गया था। उस दौरान आशुतोष टंडन, ब्रजेश पाठक, महापौर संयुक्ता भाटिया, अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे के अलावा नगर आयुक्त की मौजूदगी थी। इस पार्क के लोकार्पण के दौरान श्री टंडन ने ओपन जिम और फाउंटेन के अलावा लाइटिंग की कमी को दूर करने का आदेश दिया था।
नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने अमृत योजना के अंतर्गत हो रहे कार्यां में जल्द ही ओपन जिम के साथ अन्य कार्यां को पूरा करने का वादा भी किया था। 3 माह बीतने के बाद अब योगी सरकार की वापसी हुई तो ब्रजेश पाठक को बड़ी जिम्मेदारी भी मिली। श्री पाठक ने भी पार्कों को अत्याधुनिक सुविधा प्रदान करने का सुझाव दिया था, इसलिए वह कभी भी इनका निरीक्षण कर सकते हैं। इसी आशंका से अब अमृत योजना के साथ नगर आयुक्त भी सक्रिय हो गए हैं। एक्सईएन अतुल मिश्रा और जेई विकास सिंह सोमवार 28 मार्च को इसी पार्क की खामियां गिनने पहुंचे थे।
इस पार्क की हालत तो काफी सुधारी गई है, लेकिन अभी फौव्वारे बंद पड़े हैं। यहां की लाइट सिस्टम भी गड़बड़ है। हालांकि, ओपन जिम में बच्चे कसरत करते दिखे, लेकिन गलियारों में छिड़क सिंचाई की वजह से फिसलन को दूर नहीं किया जा सका है। पार्क में गर्मी से बचने के लिए पुख्ता छाया की व्यवस्था आज भी नहीं है। सवाल यह है कि पुराने कीमती फौव्वारे कबाड़ में डाल दिए गए, तो नए चलाए क्यों नहीं गए। आज भी एक रिंग में ढाला गया फाउंटेन कबाड़ की तरह यहां पड़ा है। इसके अलावा कुछ और चीजों में सुधार लाने के लिए तत्कालीन नगर विकास मंत्री ने आदेश दिया था, उन्हें भी पूरा नहीं किया जा सका है। अब देखना यह होगा कि उप मुख्यमंत्री के स्वतः संज्ञान से पहले यह काम पूरे हो पाते हैं या नहीं।
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