नई दिल्ली: अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में प्रथम सांस्कृतिक राजनयिक एवं भारतीय संस्कृति शिक्षक रहे डॉ. मोक्षराज ने स्मार्ट सिटी की आड़ में पाश्चात्य देशों व ईसाइयत के प्रचार की निंदा की है । उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि भारत की भावी पीढ़ी को पाश्चात्य के प्रति आकर्षण से बचाकर अपने देश के प्रति निष्ठावान बनाने की आवश्यकता है ।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों अजमेर में सात अजूबों के नाम पर “द क्राइस्ट ऑफ रिडीमर” को भी स्थापित किया जा रहा है, जबकि उनमें चीन की दीवार की प्रतिकृति नहीं बनाई गई है । उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हो रहे कार्यों की पुनः समीक्षा होनी चाहिए ।
अजमेर के डॉ. मोक्षराज का कहना है कि अजमेर का नाता पुनर्जागरण के पुरोधा महान समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती से है, जिनके जन्म को 2024 में 200 वर्ष होने जा रहे हैं । अजमेर अतुल्य योद्धा पृथ्वीराज चौहान, अर्णोराज, महाराज़ अजयपाल एवं महर्षि ब्रह्मा की तप:स्थली भी है । इसलिए अजमेर की पहचान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इनमें से किसी एक अथवा सभी संत, महात्मा, सम्राट व योगियों की प्रतिमा लगाई जानी चाहिए । उन्होंने कहा कि ईसा मसीह न तो भारत के भगवान हैं और न भारत के देवता। अत: उनको इतना महत्व देना करोड़ों हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है। अजमेर में रहने वाले धर्मांतरित लोगों की संख्या भी लगभग 0.4 प्रतिशत ही है।
पत्र में डॉ. मोक्षराज ने विश्व के सात अजूबों का निर्धारण करने वाली टीम पर भी प्रश्न लगाया है । उन्होंने कहा कि भारत में स्थापत्य कला एवं अन्य विशिष्टताओं वाले अनेक उदाहरण हैं, जिनका विश्व में कोई सानी नहीं है । किन्तु ईसाइयत की बहुलता वाली पक्षपाती टीम ने भारत के उन आध्यात्मिक एवं महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों को कोई तवज्जो नहीं दी है। एलोरा गुफा का कैलाश मंदिर, कर्नाटक का होयलेश्वर मंदिर आदि दर्जनों स्थल हमारी प्राचीन स्थापत्य कला के अभिनव साक्ष्य हैं । उन्होंने पत्र की प्रति केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, आवास एवं नगरीय विकास मंत्री हरदीप पुरी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा अजमेर जिले के कलेक्टर को भी दी है।
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