नई दिल्लीः भारत-फ्रांस द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘वरुण’ का समुद्री चरण रविवार को गोवा के तट पर खत्म हो गया। दो चरणों में होने वाले अभ्यास का दूसरा चरण 22 मई को आयोजित किया जाएगा। इस वर्ष के अभ्यास में लक्ष्यों पर सतही तोपों से फायरिंग, उन्नत पनडुब्बी रोधी, वायु रक्षा अभ्यास और अन्य सामरिक युद्धाभ्यास शामिल हैं। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी पर बढ़ती चिंता को लेकर भारतीय और फ्रांसीसी नौसेनाओं ने पिछले साल कई बड़े युद्धाभ्यास किए हैं। दोनों नौसेनाओं के बीच यह अभ्यास भारत-फ्रांस के रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस द्विपक्षीय नौसेना अभ्यास की शुरुआत 1993 में हुई थी। इस अभ्यास को 2001 में श्वरुणश् नाम दिया गया था।
इस अभ्यास में दोनों नौसेनाओं के जहाजों, पनडुब्बियों, समुद्री गश्ती विमानों, लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों सहित विभिन्न इकाइयां भाग ले रही हैं। यह अभ्यास दोनों नौसेनाओं को एक-दूसरे की सर्वोत्तम प्रथाओं से सीखने का अवसर प्रदान करता है। यह क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति उनकी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए समुद्र में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए उनके बीच परिचालन स्तर की बातचीत पर केंद्रित है। समुद्री चरण के दौरान भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व स्वदेश निर्मित स्टील्थ डिस्ट्रॉयर आईएनएस चेन्नई, इंटीग्रल सी किंग एमके 42बी हेलीकॉप्टर, समुद्री गश्ती विमान पी-8आई और डोर्नियर और मिग 29 लड़ाकू विमान ने किया है। इसी तरह फ्रांसीसी नौसेना का प्रतिनिधित्व ला फेयेट क्लास फ्रिगेट, एफएस कोर्टबेट और पनडुब्बी समर्थन पोत, एफएस लॉयर ने किया है। दोनों नौसेनाएं अभ्यास के दौरान समुद्री थियेटर में अपने परिचालन कौशल को बढ़ाने और सुधारने का प्रयास कर रही हैं।
ये भी पढ़ें..एलिसा हीली की 170 रनों की पारी सर्वश्रेष्ठ पारियों में से…
समुद्री सुरक्षा के लिए अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने के साथ ही एकीकृत बल के रूप में क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए दोनों सेनाओं में अपनी-अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। नौसेना इकाइयों ने इंटीग्रल हेलीकॉप्टरों से क्रॉस डेक लैंडिंग का प्रदर्शन किया। यह अभ्यास वैश्विक समुद्री कॉमन्स की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। वार्षिक रूप से आयोजित होने वाला श्वरुणश् नौसैनिक अभ्यास 21वीं सदी में फ्रांस-भारत रणनीतिक संबंधों का एक अभिन्न अंग है। इसमें फ्रांसीसी नौसेना और भारतीय नौसेना के बीच नौसैनिक सहयोग अभ्यास शामिल हैं। संयुक्त अभ्यास का उद्देश्य क्रॉस-डेक संचालन, पुनःपूर्ति-एट-सी, माइनस्वीपिंग, पनडुब्बी रोधी युद्ध और सूचना साझा करने जैसी क्षमताओं पर भारत-फ्रांस समन्वय में सुधार करना है। दोनों सेनाओं ने अप्रैल, 2021 में द्विपक्षीय अभ्यास ‘वरुण-2021’ का 19वां संस्करण अरब सागर में करके चीन को एक मजबूत संदेश दिया था।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)