रांचीः उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में झारखंड पुलिस ने मोस्ट वांटेड की सूची और उनपर इनाम की राशि का नये सिरे से एलान किया है। 15 उग्रवादियों पर एक लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक के इनाम की घोषणा की गयी है। पुलिस ने तस्वीरों के साथ इनके पोस्टर जारी किये हैं, जो राज्य के उग्रवाद प्रभावित इलाकों में लगाये जा रहे हैं। जिन उग्रवादियों पर इनाम घोषित किया गया है, उनमें दो पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, लेकिन झारखंड में सक्रिय हैं और कई वारदातों को अंजाम देने में शामिल रहे हैं।
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दो पर एक-एक करोड़ का ईनाम
दरअसल सबसे ज्यादा एक-एक करोड़ के इनाम दो माओवादी उग्रवादियों पर घोषित किये गये हैं। इनमें अनल दा उर्फ तूफान उर्फ पतिराम मांझी और असीम मंडल उर्फ आका शामिल हैं। अनल दा झारखंड के गिरिडीह जिले के पीरटांड़ थाना क्षेत्र का रहने वाला है। बताया जाता है कि माओवादियों के राष्ट्रीय स्तर पर दूसरे नंबर के लीडर प्रशांत बोस की गिरफ्तारी के बाद अनल ने ही झारखंड में माओवादी संगठन के ऑपरेशन की कमान संभाल रखी है। एक करोड़ का दूसरा इनामी असीम मंडल पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर जिले का रहने वाला है।
प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया के सुप्रीमो दिनेश गोप पर 25 लाख के इनाम की घोषणा वाले पोस्टर खूंटी और रांची के ग्रामीण इलाकों में लगाये गये हैं। हाल तक पुलिस के पास उसकी अत्यंत पुरानी फोटो थी। दिनेश गोप खूंटी जिले के कर्रा थाना अंतर्गत लापा मोरहाटोली गांव का रहनेवाला है। वह लगभग डेढ़ दशक से रांची सहित झारखंड के कई जिलों की पुलिस के लिए मोस्ट वांटेड है। इस बार उसकी स्पष्ट चेहरे वाली तस्वीर के साथ उसकी गिरफ्तारी में लोगों से सहयोग की अपील की गयी है।
सूचना देने वालों का नाम गोपनीय रखा जायेंगा
पुलिस की ओर से बताया गया है कि इन उग्रवादियों के बारे में सूचना देने वालों के नाम गोपनीय रखे जायेंगे। पीएलएफआई में सेकेंड लाइन के टॉप लीडर तिलकेश्वर गोप पर 10 लाख का इनाम रखा गया है। इसी तरह माओवादी संगठन के अमित मुंडा उर्फ सुखलाल मुंडा, रामप्रसाद मार्डी, दिलीप उर्फ संतोष और मदन महतो उर्फ संतोष के खिलाफ 15-15 लाख, प्रभात मुंडा उर्फ मुखिया और गुलशन सिंह मुंडा पर 5-5 लाख रुपये का इनाम रखा गया है।
बता दें कि पिछले तीन महीनों के दौरान उग्रवादियों के खिलाफ अभियान में पुलिस ने 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है या आत्मसमर्पण कराया है। झारखंड सरकार की सरेंडर पॉलिसी के अनुसार हथियार डालने वाले उग्रवादियों को एक निश्चित प्रक्रिया के बाद ओपेन जेल में रखा जा रहा है। उग्रवादी अगर सरेंडर करते हैं तो इनाम की राशि उन्हें ही दे दी जाती है।
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