Sunday, December 22, 2024
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कम उम्र में बच्चे हो रहे अंधत्व का शिकार, जल्द उपचार से दूर हो सकती है समस्या

मुंबईः मोतियाबिंद आंखों की एक सामान्य बीमारी है। आमतौर पर माना जाता है कि यह रोग 50 से 60 उम्र के लोगों को होता है। लेकिन चौंकाने वाली बात सामने आई है कि पैदा होने से पांच साल तक के बच्चे को भी मोतियाबिंद हो सकता है और समय रहते इलाज नहीं कराया गया तो बच्चा अंधत्व का शिकार हो सकता है। नेत्र विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि बच्चों के प्रति लापरवाही न बरतें, मोतियाबिंद पकने से पहले उसकी सर्जरी करा लें। बच्चों के मोतियाबिंद को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

बचपन में मोतियाबिंद होने से नजर पर असर पड़ता है। इसलिए जितना जल्दी हो सके ऑपरेशन करा लेना चाहिए। बच्चे जांच में खलल डालते हैं। ऐसे में कई डॉक्टर बच्चों के बड़ा होने की सलाह देते हैं। यह ठीक नहीं है, जितना जल्दी हो सके ऑपरेशन करा लेना ही उचित रहता है। इस उम्र में शरीर का विकास होता है। आंखें भी विकसित होती हैं। मोतियाबिंद प्रभावित बच्चे के बड़े होने पर उनकी आंखें हिलने लगती है और दृष्टि पर विपरीत परिणाम होता है। जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है, वैसे- वैसे जोखिम बढ़ता जाता है। डायबिटीज के मरीजों को तो अपनी आंखों को लेकर बेहद ही सतर्क रहना चाहिए। हर छह महीने में शुगर मरीजों को अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए।

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मोतियाबिंद विश्वभर में अंधत्व का मुख्य कारण है। माना जाता है कि 50 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों में मोतियाबिंद होता है। लेकिन युवा वर्ग भी इस रोग से सुरक्षित नहीं है। इसी तरह बच्चों में मोतियाबिंद न केवल भारत में नहीं बल्कि विश्वभर में बढ़ रहा है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार दुनियाभर में करीब 14 प्रतिशत दृष्टिहीन बच्चे मोतियाबिंद के कारण अंधेपन का शिकार होते हैं। नेत्र चिकित्सकों के लिए बच्चों का मोतियाबिंद चुनौती बना हुआ है। कई विशेषज्ञ बताते हैं कि बच्चों में मोतियाबंद दूर करने के लिए की जाने वाली सर्जरी के कारण उनकी आंखों में प्राकृतिक प्रतिक्रिया के कारण झिल्ली आ जाती है जिसे हटाना मुश्किल हो जाता है। यह झिल्ली आंखों पर पड़ने वाली रोशनी को रोकती है जिसके कारण उन्हें देखने में दिक्कत होती है। दूसरी तरफ जो बच्चे मोतियाबिंद के शिकार होते हैं उनका ऑपरेशन करना भी जरूरी होता है क्योंकि देर से ऑपरेशन होने पर मोतियाबिंद पक जाता है जिसे दूर करना मुश्किल होता है। बच्चों के मामले पर गौर करें तो पैदा होने से 5 साल तक बच्चों को मोतियाबिंद हो सकता है। इसके अलावा खेलते समय आंख पर चोट लगने से भी मोतियाबिंद होने की संभावना रहती है।

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