नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र द्वारा अर्जित वैश्विक विश्वास ने देश को हाल के दिनों में ‘दुनिया की फार्मेसी’ बताया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हम पूरी मानव जाति की भलाई में विश्वास करते हैं और हमने इस भावना को पूरी दुनिया को कोविड -19 वैश्विक महामारी के दौरान दिखाया है।”
मोदी ने कहा, “हमने महामारी के शुरूआती चरण के दौरान 150 से अधिक देशों को जीवन रक्षक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों का निर्यात किया है। हमने इस साल लगभग 100 देशों को कोविड के टीकों की 6.5 करोड़ से अधिक खुराक का निर्यात भी किया है।” उन्होंने गुरुवार को फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र के पहले ग्लोबल इनोवेशन समिट का उद्घाटन किया। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया भी मौजूद रहे।
सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि महामारी ने फार्मास्युटिकल क्षेत्र को तेजी से फोकस में ला दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे जीवनशैली हो, दवाएं हों, चिकित्सा तकनीक हो या टीके हों, स्वास्थ्य सेवा के हर पहलू पर पिछले दो वर्षों में वैश्विक ध्यान गया है।”
उन्होंने कहा कि भारतीय दवा उद्योग भी चुनौती के लिए तैयार हो गया है। प्रधानमंत्री ने नवाचार के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की भी कल्पना की, जो भारत को दवा की खोज और नए चिकित्सा उपकरणों में अग्रणी बनाएगा।
उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के आधार पर नीतिगत हस्तक्षेप किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों का एक बड़ा पूल है, जिसमें उद्योग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता है। उन्होंने कहा, “इस ताकत को ‘डिस्कवर एंड मेक इन इंडिया’ के लिए इस्तेमाल करने की जरूरत है।”
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मोदी ने कहा, “आज, जब भारत के 1.3 अरब लोगों ने भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने के लिए इसे अपने ऊपर ले लिया है। हमें टीकों और दवाओं के लिए प्रमुख सामग्री के घरेलू निर्माण में तेजी लाने के बारे में सोचना चाहिए। यह एक ऐसी सीमा है, जिसे भारत को जीतना है।” प्रधानमंत्री ने हितधारकों को आइडिया इन इंडिया, इनोवेट इन इंडिया, मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड के लिए आमंत्रित किया है।
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