वॉशिंगटनः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ जनवरी 2022 में इस्तीफा देकर फिर से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी लौटेंगी। आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने बुधवार को यह जानकारी दी है। गीता के उत्तराधिकारी की तलाश जल्द ही शुरू होगी। क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि फंड और हमारी सदस्यता में गीता का योगदान वास्तव में उल्लेखनीय रहा है। आईएमएफ के काम पर उनका प्रभाव जबरदस्त रहा है। वह आईएमएफ की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री हैं।
गीता का जन्म दिसम्बर 1971 में मलयाली माता-पिता के घर पर मैसूर में हुआ। शिक्षा कोलकाता में हुई और उन्होंने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया। उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के साथ-साथ वॉशिंगटन विश्वविद्यालय से मास्टर डिग्री हासिल की। गीता ने 2001 में प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में पीएचडी की थी और उनका मार्गदर्शन केनेथ रोगॉफ, बेन बर्नान्के और पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने किया था। 2005 में हार्वर्ड जाने से पहले वह 2001 में शिकागो विश्वविद्यालय में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में शामिल हुईं। वह 2010 में वहां एक कार्यरत प्रोफेसर बनीं। वह हार्वर्ड के इतिहास में अपने सम्मानित अर्थशास्त्र विभाग में एक कार्यरत प्रोफेसर बनने वाली तीसरी महिला हैं और नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के बाद यह पद संभालने वाली पहली भारतीय।
यह भी पढ़ें-गोवा के पूर्व उप मुख्यमंत्री दयानंद नार्वेकर आप में हुए शामिल
उल्लेखनीय है कि आईएमएफ में गीता गोपीनाथ ने कई बेहतरीन काम किए। वह महामारी पेपर की सह लेखिका रहीं। इस पेपर में कैसे कोरोना महामारी को खत्म किया जाए और वैश्विक स्तर पर किस तरह से कोरोना वैक्सीनेशन के अभियान को पूरा किया जाए, इसकी विस्तृत चर्चा की गई है। इसके साथ ही आईएमएफ में क्लाइमेट चेंज टीम के गठन और उसके विश्लेषण में भी गीता ने अहम भूमिका निभाई थी।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)