लखनऊ: रविचंद्रन अश्विन भारतीय टेस्ट क्रिकेट के एक मजबूत स्तंभ हैं। अश्विन ने कई मौकों पर अपनी उपयोगिता को साबित किया है और भारतीय टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाया है। ये ही कारण है कि अश्विन के नाम कई बड़े रिकॉर्ड दर्ज हैं। अश्विन भारत की तरफ से सबसे तेज 50, 100, 150, 200, 250, 300, 350 और 400 टेस्ट विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं।
आर अश्विन की गिनती दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर्स में होती है। वो गेंद के साथ-साथ बल्ले से भी अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा चुके हैं। इतना ही नहीं अश्विन सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के बाद आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड जीतने वाले भारत के तीसरे खिलाड़ी हैं। अगर अश्विन को मौजूदा समय में टेस्ट क्रिकेट का लीजेंड कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। हाल ही में अश्विन को आईसीसी मेन्स टी20 विश्व कप के लिए 4 साल बाद टीम में चुना गया है। अश्विन 17 सितम्बर 2021 को अपने जीवन के 35 वर्ष पूरे कर रहे हैं। डालते हैं एक नज़र अश्विन के दिग्गज बनने के सफर पर।
पिता से मिला क्रिकेट का गुण
17 सितम्बर 1986 को चेन्नई के एक तमिल परिवार में जन्में अश्विन ने अपनी शुरूआती शिक्षा पदमा शेशाद्री बला भवन व सेंट बेड़े स्कूल से की। बाद में एसएसएन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक किया है। अश्विन को क्रिकेट का गुण अपने पिता से मिला। उनके पिता क्लब स्तर पर तेज गेंदबाज के तौर पर क्रिकेट खेल चुके हैं। सेंट बेड़े स्कूल में अश्विन के कोच सीके विजय और चंद्रा ने उनके करियर में एक बड़ी भूमिका निभाई और इन कोचों ने अश्विन की गेंदबाजी शैली को मीडियम पेस से ऑफ स्पिन में बदल दिया।
2010 में किया इंटरनेशनल क्रिकेट में पदार्पण
अश्विन ने अपने फर्स्ट क्लास क्रिकेट की शुरूआत दिसंबर 2006 में तमिलनाडु की ओर से की। इसके बाद अगले सीजन में वो तमिलनाडु के कप्तान बन गए। 2010 के आईपीएल में अश्विन को महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी वाली चेन्नई सुपरकिंग्स ने खरीदा। मगर अश्विन लाइमलाइट में 2011 के सीजन में आए। अश्विन इस सीजन में सबसे ज्यादा विकेट लेने के साथ पर्पल कैप होल्डर रहे। अश्विन ने 5 जून 2010 को श्रीलंका के खिलाफ एकदिवसीय मैच में पदार्पण कर अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत की। अपने पदार्पण मैच में अश्विन ने 50 रन देकर दो विकेट लिए और 32 गेंदों में 38 रन की पारी भी खेली। इसके बाद 12 जून 2010 को अश्विन ने जिम्ब्वाब्वे के खिलाफ अपने टी20 क्रिकेट की शुरूआत की। वहीं टेस्ट में अश्विन ने डेब्यू 6 नवंबर 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ किया।
वनडे में रहा मिला-जुला प्रदर्शन
अश्विन ने खुद को साबित किया 2010 में न्यूजीलैंड के खिलाफ सिरीज में। भारत ने 5 मैचों की सीरीज में क्लीन स्वीप किया और अश्विन सीरीज में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। इसके बाद अश्विन को 2011 की विश्व विजेता टीम के 15 सदस्यीय में शामिल किया गया। हालांकि उन्हें सिर्फ दो मैच ही खेलने को मिले। इसके बाद अश्विन का बेहतर प्रदर्शन सामने आया 2013 की चैंपियन्स ट्रॉफी में। वो 5 मैचों में 4.41 के इकोनॉमी से 8 मैच लेकर टूर्नामेंट के हाइएस्ट विकेट टेकर रहे। अश्विन 2014 एशिया कप में भी हाइएस्ट विकेट टेकर रहे। वहीं 2014 के टी20 विश्वकप में भी अश्विन ने अच्छा प्रदर्शन कियाए हालांकि टेस्ट में पूरे विश्व में अपना झंडा गाड़ने वाले अश्विन एकदिवसीय क्रिकेट में उस लेवल का प्रदर्शन नहीं कर पाए। उन्होंने कुल 111 वनडे मैचों में 150 विकेट अपने नाम किए। इस दौरान उनके बल्ले से सिर्फ 1 अर्धशतक के साथ कुल 675 रन ही निकले। अश्विन ने अपना अंतिम वनडे जून 2017 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था।
पदार्पण श्रृंखला में मिला मैन ऑफ द सीरीज
अश्विन के लिए टेस्ट का आगाज एक स्वर्णिम आगाज रहा। 6 नवंबर 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। अश्विन के लिए ये पदार्पण यादगार रहा, उन्हें अपनी टेस्ट कैप क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले दिग्गज भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से मिली। अश्विन ने अपने पहले ही टेस्ट में अपना जलवा बिखेरा और मैच में 9 विकेट झटक कर मैन ऑफ द मैच का अवॉर्ड अपने नाम किया। अश्विन के लिए अपनी पदार्पण सीरीज ही यादगार रही। उन्होंने सीरीज के तीसरे ही मैच में अपने करियर का पहला शतक जड़कर गेंद के साथ बल्ले से भी अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा। सीरीज में शानदार प्रदर्शन का ईनाम अश्विन को पदार्पण सीरीज में ही मैन ऑफ द सीरीज अवॉर्ड पाकर मिला।
सबसे तेज 50 से 400 विकेट लेने वाले भारतीय
पहली सीरीज में शुरू हुआ अश्विन के शानदार प्रदर्शन का सिलसिला आगे भी जारी रहा और आज भी जारी ही है। अश्विन ने सीरीज दर सीरीज बेहतर प्रदर्शन किया और टेस्ट क्रिकेट में अपनी उपयोगिता को साबित किया। यही कारण है कि अश्विन देखते-देखते टेस्ट क्रिकेट में भारत की तरफ से सबसे तेज 50, 100, 150, 200, 250, 300, 350 और 400 विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए। अश्विन के विकेट लेने का सिलसिला आज भी जारी है। सूखी और स्पिन की मददगार पिचों पर अश्विन और भी खतरनाक हो जाते हैं। अश्विन अब तक खेले 79 टेस्ट मैचों में 24.56 के औसत से 413 विकेट अपने नाम कर चुके हैं। इस दौरान अश्वनि ने 30 बार 5 या उससे ज्यादा विकेट एक पारी में झटके हैं। वहीं इस बीच अश्विन का बल्ला भी जमकर बरसा है। उन्होंने 27.95 के औसत से 2,656 रन बनाए हैं। जिसमें 5 शतक और 11 अर्धशतक भी शामिल हैं। इस शानदार प्रदर्शन के दम पर अश्विन आईसीसी टेस्ट बॉलिंग और ऑलराउंडर्स की रैंकिंग में पहले स्थान पर रहे चुके हैं। वहीं 2016 में वो आईसीसी के टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर और आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी रह चुके हैं।
कीर्तिमान
अश्विन के टेस्ट क्रिकेट में एक दिग्गज होने का पता इससे भी चलता है कि टेस्ट क्रिकेट में अश्विन के नाम कीर्तिमानों की एक लंबी फेहरिस्त है। अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेज 250, 300 और 350 विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं। वो एक ही टेस्ट में शतक और 5 विकेट लेने वाले पहले भारतीय हैं। अश्विन अब तक 8 बार मैन ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड जीत चुके हैंए जो किसी भी भारतीय द्वारा सबसे ज्यादा बार है। 2016 में अश्विन साल में सबसे ज्यादा विकेट (72) लेने वाले खिलाड़ी बने। वहीं अश्विन सर गैरीफील्ड सोबर्स आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द ईयर अवॉर्ड पाने वाले सचिन तेंदुलकर और राहुल द्रविड़ के बाद तीसरे भारतीय हैं। अश्विन को आईसीसी क्रिकेटर ऑफ द डिकेड के लिए भी नामित किया गया था। इतना ही नहीं अश्विन को अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)