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38 करोड़ का इनामी खूंखार आतंकी बना गृह मंत्री, भारत को मानता है नंबर 1 दुश्मन

काबुलः अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान ने नई अंतरिम सरकार का ऐलान कर दिया है। तालिबान की इस नई सरकार में खूंखार आतंकियों को प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक बनाया गया है। यूएन की आतंकियों की सूची में शामिल मुल्ला हसन अखुंद को अफगानिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया गया है जबकि अमेरिका के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया गया है। वहीं मुल्ला बरादर को डिप्टी पीएम बनाया गया।

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खूंखार आतंकी FBI की हिटलिस्ट में शामिल

बता दें कि तालिबान द्वारा गृह मंत्री बनाए गए सिराजुद्दीन हक्कानी FBI की हिटलिस्ट में शामिल है। यही नहीं वह भारत को नंबर-वन दुश्मन मानता है। इतना ही नहीं खूंखार आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क के कर्ता-धर्ता सिराजुद्दीन का लिंक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेस इंटेलिजेंस (आईएसआई) से भी है। उसे ISI का प्रॉक्सी भी माना जाता है। वहीं अमेरिका ने इस खूंखर आतंकी पर 5 मिलियन डॉलर यानी कि करीब 38 करोड़ रुपये का इनाम भी रखा हुआ है।

ISI प्रमुख के दौरे के बाद तालिबान ने किया सरकार का ऐलान

हाल ही में आईएसआई प्रमुख डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने अफगानिस्तान का दौरा किया था और काबुल के सेरेना होटल में रुके थे। इस दौरे के बाद से ही माना जा रहा था कि तालिबान सरकार में पाकिस्तान अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता है। वहीं हमीद के दौरे के बाद तालिबान ने अपनी सरकार का ऐलान करते हुए सिराजुद्दीन हक्कानी को नया गृह मंत्री बना दिया। अब आंतरिक मंत्रालय की डेटा तक पहुंच होगी जो अफगानिस्तान में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए तालिबान के खिलाफ काम करने वाले अफगान नागरिकों के लिए हानिकारक हो सकता है।

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति की हत्या की कोशिश

गौरतलब है कि की भारत को अपना नंबर वन दुश्मन मानने वाला सिराजुद्दीन हक्कानी FBI की हिटलिस्ट में शामिल है। ISI के करीबी सिराजुद्दीन हक्कानी ने कई बार अफगान सरकार, सेना, विदेशी राजनयिकों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के ऊपर आतंकी हमले भी करवाए हैं। सिराजुद्दीन हक्कानी के बारे में माना जाता है कि वह साल 2008 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या की कोशिश करने की योजना बनाने में भी शामिल था। कई आत्मघाती हमलों में उसकी कथित संलिप्तता और अल-कायदा से घनिष्ठ संबंध भी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का कारण है।

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