वाराणसी: कोरोना काल में लम्बे समय से घर में वक्त गुजारने वाले काशी वासी रविवार को गंगा की लहरों में सैम मानिक शॉ क्रूज पर सवार होकर दर्शन पूजन के साथ पिकनिक मना रहे हैं। अस्सी रविदास घाट से शुरू सफर का समापन चुनार किले से वापस रविदास घाट पर आकर होगा। दोनों तरफ मिलाकर लगभग 70 किमी की दूरी लक्जरी क्रूज तय करेगा। इसको लेकर पिकनिक सपरिवार मना रहे सवार लोगों में भी जबरदस्त उत्साह है।
इसके पहले सुबह 09 बजे यात्रियों से भरे सैम मानिक शॉ क्रूज को रविदास घाट से कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। क्रूज में सवार लोग रामनगर किला, राल्हूपुर बंदरगाह सहित गंगा किनारे के मनोहारी दृश्य देखते हुए माधोपुर शूलटंकेश्वर पहुंचे। यहां से क्रूज गंगा की लहरों में इतराता बल खाता चुनार किले पर पहुंचा। रास्ते में यात्रियों को क्रूंज प्रबंधन की ओर से नाश्ता दिया गया। जिसमें बाटी-चोखा के अलावा इडली सांभर, हलवा, चाट, टिकिया व छोले भी दिया गया।
चुनार किले में यात्रियों को सोनवा मंडप, भर्तृहरि की समाधि, बाबर और औरंगजेब का हुक्मनामा, शेरशाह सूरी का शिलालेख, आलमगीरी मस्जिद, बावन खंभा और रहस्मयी बावड़ी, जहांगीरी कक्ष, रनिवास, मुगलकालीन बारादरी, तोपखाना व बंदी गृह, लाल दरवाजा, सोलर क्लॉक और वारेन हेस्टिंग के बंग्ले को दिखाने के बाद यात्रियों को एक घंटे विश्राम का अवसर भी दिया गया। इसके बाद क्रूज यात्रियों को लेकर वाराणसी रविदास घाट के लिए चल पड़ा। क्रूज को शाम 5.30 बजे तक रविदास घाट पहुंचना है। लगभग नौ घंटे की यात्रा को लेकर अलकनंदा क्रूज प्राइवेट लिमिटेड के अफसर भी उत्साहित दिखे।
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क्रूज प्रबंधन से जुड़े अफसरों के अनुसार यात्रियों के सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है। क्रूज में कैप्टन प्रदीप अधिकारी के साथ 15 स्टाफ की टीम भी सवार है। रास्ते में प्रशिक्षित गाइड की टीम यात्रियों के जिज्ञासा का समाधान भी कर रही है। इसमें सुरक्षा के भी व्यापक इंतजाम किया गया है।
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