सोनीपत: विश्व में सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देना जरूरी है। यह मानना है गोल्डन ब्वाय सुमित आंतिल का। जिसने टोक्यो में अपने हौसलों को ऊंची उड़ान दी। सोनीपत के गांव खेवड़ा के पैरा खिलाड़ी सुमित ने भाला फेंक में विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। स्वर्ण पदक विजेता का सम्मान करने मुख्यमंत्री मनोहर लाल उसके पैतृक गांव खेवड़ा में पहुंचे हैं।
सुमित 12वीं कक्षा में था, ट्रैक्टर ट्रॉली ने सुमित को टक्कर मारी तो हादसे में एक पैर कट गया। कई माह अस्पताल रहा फिर आर्टिफिशियल पैर लगवाया। सुमित ने इसी कमजोरी को ताकत बनाया और आज इतिहास रच डाला। सात जून 1998 में सुमित का जन्म हुआ इनकी तीन बहन हैं, पिता रामकुमार एयर फोर्स में थे पांच जनवरी 2015 को बीमारी के कारण निधन हो गया, मां निर्मला ने पालन पोषण किया।
सुमित अंतिल साईं सेंट्रल बहालगढ़ में गया। जहां उसकी मुलाकात पैरा ओलंपिक कोच सूबेदार वीरेंद्र धनखड़ से हुई। यह दिव्यांग खिलाड़ी सांईं में प्रैक्टिस करते थे। वीरेंद्र धनखड़ को देख सुमित का मनोबल बढ़ा, खेल प्रशिक्षण लेना शुरू किया और सुमित ने खुद एक नये इतिहास की रचना कर दी। वर्ष 2017 में प्रैक्टिस करने के लिए आर्मी सेंटर पुणे से आर्मी कोटा से पैर लगवाया लेकिन प्रैक्टिस के दौरान बार-बार यह पैर टूट जाता था। दो साल में प्रशिक्षण के दौरान 200 से ज्यादा आर्टिफिशियल पैर टूटे।
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पांच लाख रुपये की लागत से जर्मनी से पैर मंगवाया छह महीने उसको सैट होने में लग गए। घाव हो गये, उसी दर्द से निकला एक संकल्प जैवलिन थ्रो में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए गोल्ड मेडल दिला गया है। सुमित रीढ़ की हड्डी की चोट डॉक्टर ने सलाह दी कि जैवलिन थ्रो किया तो कमर पैरालाइसिस हो जाएगा। 2018 में इंडोनेशिया में होने सुमित को गुरु वीरेंद्र धनखड़ ने फिजियोथेरेपी की तरह 7 से 8 घंटे जमकर प्रैक्टिस करवाई और उसके मनोबल में वृद्धि हुई कि फिर कभी कमर का दर्द नहीं हुआ।
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