Sunday, November 17, 2024
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जीवन में होना चाहते हैं सफल तो इन छह दोषों का हमेशा के लिए कर दें त्याग

विदुर महाभारत के मुख्य पात्रों में एक ऐसा नाम थे, जिनकी विद्वता और बुद्धिमता का लोहा आज भी माना जाता है। कौरवों के पक्ष के होने के बाद भी विदुर ने महाभारत काल में हमेशा सत्य का साथ दिया। महात्मा विदुर ने अपनी दूरदर्शी सोच के आधार पर नीतियों का निर्माण किया। उन्होंने जीवन व राजकाज में सफल होने के लिए कई आदर्श नियम बताए हैं, जिन्हें विदुर नीति के नाम से जाना जाता है। दर्शन, अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष पर आधारित विदुर की नीतियों की मदद से मनुष्य अपने जीवन को सुगम बना सकता है। विदुर ने अपनी नीति में मनुष्य को कल्याण के लिए कुछ दोषों से दूर रहने की सलाह दी है।

विदुर कहते हैं कि अपना और जगत का कल्याण अथवा उन्नति चाहने वाले मनुष्य को तंद्रा, निद्रा, भय, क्रोध, आलस्य और प्रमाद, इन 6 दोषों को हमेशा के लिए त्याग देना चाहिए। अर्थात जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करनी है तो तंद्रा अर्थात बेहोशी, अत्यधिक निद्रा, डर, क्रोध, आलस्य, प्रमाद अर्थात लापरवाही को छोड़ देना चाहिए। अपने समय का प्रबंधन करके ज्यादा से ज्यादा कार्य करना चाहिए, क्योंकि कर्म से ही सफलता के द्वार खुलते हैं। विदुर जी कहते हैं कि मनुष्य पाप अकेला करता है, पर उसका आनंद बहुत से लोग उठाते हैं। आनंद उठाने वाले तो बच जाते हैं, पर पाप करने वाला दोष का भागी होता है। विदुर नीति के अनुसार, मूढ़ चित वाला नीच व्यक्ति बिना बुलाए ही अंदर चला आता है, बिना पूछे ही बोलने लगता है तथा जो विश्वास करने योग्य नहीं हैं, उन पर भी विश्वास कर लेता है। मूढ़ को परिभाषित करते हुए महात्मा विदुर कहते हैं कि दरअसल, जिसके मन में यह भान है कि मैं सबकुछ जानता हूं, मेरी सब जगह प्रतिष्ठा है और मैं ही सर्वेसर्वा हूं, वह ही मूढ़ है।

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विदुर नीति के अनुसार मूढ़ मूर्ख से भी बढ़कर होता है। वहीं ज्ञानी की परिभाषा बताते हुए विदुर नीति में कहा गया है कि जो अपना आदर-सम्मान होने पर खुशी से फूल नहीं उठता और अनादर होने पर क्रोधित नहीं होता तथा गंगाजी के कुंड के समान जिसका मन अशांत नहीं होता, वह ज्ञानी कहलाता है। दरअसल, वीर, बहादुर और ज्ञानी व्यक्ति ही अपने मान और अपमान से परे उठकर सोचता है। वह अपने अपमान पर क्रोधित होने के बजाए शांति से उस पर विचार कर यह सोचता है कि कैसे अपमान करने वाला व्यक्ति एक दिन खुद आकर मुझसे क्षमा मांग लें।

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